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14.11.09

अब नहीं होती बाल सभाएं, केवल एक दिन चाचा नेहरू आते हैं याद

अब नहीं होती बाल सभाएं, केवल एक दिन चाचा नेहरू आते हैं याद

पंकज व्यास,रतलाम

 आप अपने बचपन को याद कीजिए। बचपन में चले जाईए। स्कूल के वो दिन याद करें, जब हर शनिवार को आधी छुट्टी के बाद बाल सभा होती, बाल सभा की तैयारी जोरों से की जाती। याद करें वो नजारा, जब मास्टर जी नाम पुकारते और कविता, कहानी, चुटकुले आदि पढऩे के लिए बाल सभा में बकायदा बुलाते। याद करें उस लम्हे को जब मास्टरजी उन दोस्तों को जबरन बाल सभा में खड़ा कर बुलवाते, कुछ भी कहने के लिए प्रेरित करते....

याद आया? अगर आप को याद आ रहा है, तो आप के सामने वो सारे पल आ रहे होंगे, जब बाल सभा होती थी। पूरे सप्ताह आपको और आपके दोस्तों को शनिवार का इंतजार रहता इंतजार रहता।
हर शनिवार को आधी छुट्टी में बाल सभा का कार्यक्रम होता, जो बच्चों की प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए, व्यक्तित्व विकास के लिए एक मंच का काम करतीं। 


बाल सभा, नाम से ही स्पष्ट है, बच्चों का कार्यक्रम। चूंकि बच्चों की बात उठती है, तो सहज में ही चाचा नेहरू याद आ जाते। बाल सभा में बच्चों के व्यक्तित्व विकास के बहाने, प्रतिभा निखारने के बहाने चाचा नेहरू को याद कर लिया जाता। 


वक्त बदला, वक्त ने अपनी चाल बदली और हर शनिवार होने वाली बाल सभा महिने के आखरी शनिवार को होने लगी और कब यह बाल सभा का क्रम समाप्त हो गया, पता ही नहीं चला। अधिकांश स्कूलों में अब बाल सभाएं नहीं होती। बाल सभा नहीं होती तो बच्चों के चाचा नेहरू याद नहीं आते और याद आते हैं, तो अब केवल एक ही दिन बाल दिवस पर। वह भी रस्म अदायगी दूसरे ही दिन बच्चे चाचा नेहरू को भूला-बिसार दें, तो इसमें आश्चर्य ही क्या? एक तो बाल सभा अब होती नहीं और चाचा नेहरू को याद करने का वक्त ही नहीं। रही सही कसर टीवी ने पुरी कर दी और टीवी में भी बच्चे कार्टून में रम जाते। 


अब हालात ये बनते है कि चाचा नेहरू अब बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू नहीं रहे, अब स्पाईडर मे, सुपर मेन आदि कार्टून पात्र उन्हें आकर्षित आकर्षित करते हैं। यहां यही समझ आता है कि बाल सभा की इस टूट चुकी कड़ी के बीच बच्चों के बीच चाचा नेहरू को याद रखना है, तो माय फे्रंड गणेशा, कृष्णा, हनुमान की तरह चाचा नेहरू को भी बच्चों के सामने लाना होगा, नहीं तो साल में एक बार बाल दिवस मना लिया और बाल सभा तो होती नहीं, इसलिए एक दिन चाचा नेहरू याद आते रहेंगे, और बच्चे उन्हें भुलाते-बिसराते रहेंगे।


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