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26.11.09

हमें नहीं आता

हमें बताना नहीं आता
ग़म के साथ ए हसीना हमें जीना नहीं आता
मोहब्बत तो हम भी करते हैं,
मगर ठुकराए इज़हार पर पीना हमें नहीं आता
मयख़ाने की शिरक़त हम अक्सर किया करते हैं,
मगर बस्ल ए इंतज़ार में, आंखे भिगाना हमें नहीं आता
क़ॉलेज के गेट पर हो खड़े,
राह तेरी तकता ज़रूर हूं, मगर क्या करूं
दिल को एक जगह टिकाना हमें नहीं आता
दुनिया के हुज़ूर से कहना ज़रूर, बुरक़े के भीतर छुपे
बदन पर इतराना हमें नहीं भाता
कनखियों से सुरमाई आंखे क़हर ढाती तो हैं
मगर पसंद इस तरह किसी को
बहकाना हमें नहीं आता
सुर्ख आफताब से गालों पर लेकर डिंपल हंसना हसीना
तुम्हे पाने की मशक्कत में पसीना बहाना हमें नहीं आता
होगी नवाब की भोपाली झील तेरी नीली आंखे
मगर इन आंखों की चाह में आंसु बहाना हमें नहीं आता
गुलाबी बाग की हसरतें हैं,तेरे होठों की तरह फड़फड़ाने की
मगर असल में बस्ल की चाह में
सब कुछ लुटाना हमें नहीं आता
चले जाओगे ज़िंदगी से क्या समझते हो
ख़ुदा की नेमत "जान" इस तरह गंवाना हमें नहीं आता
एक बात तुमसे कहे देता हूं,
मेरी "जान" मेरे बदन में नहीं ,
बसती है तुममें बताना हमें नहीं आता
वरुण के सखाजी
पत्रकार
ज़ी24घंटे,छत्तीसगढ़
9009986179

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