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7.11.09



























कलम के सिपाही को भावभीनी श्रधांजलि....!!!



प्रभाष जी का आखिरी लेख तहलका हिन्दी पत्रिका में



























2 comments:

नवीन कुमार 'रणवीर' said...

हिंदी पत्रकारिता के लिए प्रभाष जोशी का जाना पत्रकारिता के मौलिक उद्देश्यों को वास्तविक तथा भावी स्थिति तक बचाए रखनें का एक बड़ा संकट खड़ा कर देगा। प्रभाष जी केवल पत्रकार नहीं, पत्रकारिता के पर्याय थे। प्रभाष जी ने पैसा, प्रेस और पत्रकारिता का भेद बता दिया था। जो आज तक कोई समझा ना पाया था। शत् शत् नमन्...

मेरी आवाज सुनो said...

dhnyavaad naveen kumar ji...!!