अभी एक-दो दिन पहले ही अपने गांव से लौटा हूं, इस बार मेरा गांव प्रवास करीब-करीब बीस दिनों का था सो मेरे पास कुछ ज्यादा टाइम था, अपने उस गांव को देखने-समझने का जहां मैं पैदा हुआ, जवान हुआ. पहले अपना गांव अच्छा लगता था, वहां के लोग और उनकी बातें सुहाती थी. वो जैसे भी थे, अच्छे थे.
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