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2.2.10

संघ की घोषणा स्वागत योग्य-ब्रज की दुनिया

कथित धर्मनिरपेक्षवादियों के बीच राष्ट्र विरोधी संगठन के रूप में बदनाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अब मुंबई में उत्तर भारतीयों की रक्षा का बीड़ा उठाया है.अभी तक कांग्रेस सहित सभी धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देनेवाले दल रहस्यमय तरीके से चुप्पी साधे हुए थे.ऐसे में संघ की घोषणा का हम सभी राष्ट्रवादियों की तरफ से स्वागत किया जाना चाहिए.इससे निश्चित रूप से शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का मनोबल गिरेगा और वे अपनी करनी से बाज आयेगे.संघ अखिल भारतीय संगठन है और महाराष्ट्र तो इसका केंद्र ही है.इसलिए हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि अब महाराष्ट्र में पिछले कुछ समय से चल रहे सारे उपद्रव और उत्पात शांत हो जायेंगे.चाहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जो भी इतिहास रहा हो वो देश की एकता और अखंडता की कट्टर समर्थक है. उसने अपने इस कदम द्वारा यह साबित भी कर दिया है.संघ प्रमुख के बयान देने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने मरता क्या न करता की तर्ज पर कहा कि भारतीय संविधान किसी भी भारतीय को कहीं भी बसने और काम करने की स्वतंत्रता देता है और केंद्र सरकार इसे सुनिश्चित करेगी.क्या पिछले दो सालों  से भारत  का संविधान लागू नहीं था या फ़िर मंत्रीजी की नैतिकता घास चरने चली गई थी .अब जब  उन्हें लगा कि संघ कहीं वाक ओवर ले ले तब उन्हें संविधान और अपने कर्त्तव्य की याद आ गई!

7 comments:

अंकित कुमार पाण्डेय said...

अब देखने वाली बात यह होगी की क्या ' धर्मनिरपेक्ष ' दल इसी लिए इस बात क समर्थन नहीं करेंगे की ये बात संघ ने की है या वो अच्छे कार्य में संघ की सहायता करेंगे

वैसे एक बात तो दिख गई इसी ब्लॉग भड़ास पार फिलिस्तीनियों की चिंता में तो ५० से ज्यादा पोस्ट आ गई थीं पार मुंबई के संकट ग्रस्त हिंदी भाषियों के समर्थन और शांघ की मुहिं क समर्थ करने के लिए केवल एक पोस्ट ????????

Vinayak Sharma said...

Vastav men dekha jaye to dono baate swagat yogya hai...Sangh kee Ghoshna aur Aankit jee ka comment .
Hum khule dil se har us baat ka samarthan karna chahiye Jo Rashtra hit men ho aur har us baat ka Virodh jo rashtra hit ke vipreet....
Ab kya kahe....adhik kuchh likh diya to ek vishesh vichardhara vale bandhu vyarth men naaraj ho jayenge..

Vinayak Sharma said...

Dono hee baate swagat yogya hai..Sangh kee ghoshna aur Ankit jee ka comment.
Hame har us baat ka khule dil se samarthan karna chaiye jo Rashtra hit mein ho aur usaka virodh jo rashtra hit ke vipreet ho....
Ab kya kahe...kuchh adhik likh diya to ek vishesh vichardhara vale log vyarth men bura maan jayenge...aur dharam-nirapekshta aur Bhagva broged aur na jane kau-kun se sundar shabdo se hamara swagat karege....
Dhanya vaad..Jai Bharat..!!

अंकित कुमार पाण्डेय said...

विनायक शर्मा जी आप लिख ही दीजिये कहीं ऐसा ना हो की आज तो आप विशेष विचारधारा वाले बंधुओं के नाराज होने की चिंता कर रहे हैं और कल को किसी भी विचारधारा का कोई भी बंधू नाराज होने के लिए बचे ही ना


तो अब लिख ही दीजिये आप

Anonymous said...

---भारत में अगर अपने आप को धर्मनिरपेक्ष दिखाना है तो आपको कुछ काम करने होंगे। संघ की आलोचना करनी होगी। जितनी अधिक आप आलोचना करेंगे उतने ही बड़े आप धर्म निरपेक्ष कहलाए जाएगें। साथ ही एक समुदाय विशेष को तुष्ट करने वाले काम करने होंगे। उनकी बोली, पहनावा, शैली आदि..आदि। यहां पर अलगाववादी संगठनों और विचारधारा की निंदा करने वाले इतने नहीं हैं जितने संघ के हैं। बड़ी ही अजीब स्थित है। कुछ लोगों का वश चले तो संघ के लोगों को देश से ही निकाल दें। एक तरफ वह लोग हैं जो देश के कानून को नहीं मानेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी उनकी नजर में कोई मायने नहीं रखते। संविधान और राष्ट्रगीत के विषय में क्या राय है बताने की जरूरत नहीं। विश्व में उनके साथ कहीं कुछ हो पूरा समुदाय खतरे में आ जाता है। सात समंदर पार कहीं कोई बात हो लेकिन बाजार यहां के बंद करा देते हैं। जुलूस यहां की सड़कों पर निकलाजाता है। जिसमें पुलिस प्रशासन पूरे दिन उलझा रहता है। .....और..और....छोड़ो यह सभी बातें बहुत कही और सुनी जा चुकी हैं। इसलिए लिखने से तो मत चूको।
दीपक शर्मा

Anonymous said...

---भारत में अगर अपने आप को धर्मनिरपेक्ष दिखाना है तो आपको कुछ काम करने होंगे। संघ की आलोचना करनी होगी। जितनी अधिक आप आलोचना करेंगे उतने ही बड़े आप धर्म निरपेक्ष कहलाए जाएगें। साथ ही एक समुदाय विशेष को तुष्ट करने वाले काम करने होंगे। उनकी बोली, पहनावा, शैली आदि..आदि। यहां पर अलगाववादी संगठनों और विचारधारा की निंदा करने वाले इतने नहीं हैं जितने संघ के हैं। बड़ी ही अजीब स्थित है। कुछ लोगों का वश चले तो संघ के लोगों को देश से ही निकाल दें। एक तरफ वह लोग हैं जो देश के कानून को नहीं मानेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी उनकी नजर में कोई मायने नहीं रखते। संविधान और राष्ट्रगीत के विषय में क्या राय है बताने की जरूरत नहीं। विश्व में उनके साथ कहीं कुछ हो पूरा समुदाय खतरे में आ जाता है। सात समंदर पार कहीं कोई बात हो लेकिन बाजार यहां के बंद करा देते हैं। जुलूस यहां की सड़कों पर निकलाजाता है। जिसमें पुलिस प्रशासन पूरे दिन उलझा रहता है। .....और..और....छोड़ो यह सभी बातें बहुत कही और सुनी जा चुकी हैं। इसलिए लिखने से तो मत चूको।
दीपक शर्मा

अंकित कुमार पाण्डेय said...

दीपक जी आपने बहुत अच्छी और सच्ची बात कही पर ज्यादा अच्छा होता अगर आप ये बात 'धर्मनिरपेक्ष' लोगों के ब्लॉग पर जाकर कहते मैंने १ जगह आपकी टिप्पड़ी आने नाम से डाल दी है आशा है की बाकी जगह आप खुदलिखेंगे