ग्वालियर मैं पत्रकारों की कलम को जंग लग चुकी है। इसका जीता जागता उदाहरण अभी कुछ दिनों पहले सामने आया। बात कुछ यों थी की एक अखबार मैं क्राइम देखने वाले पत्रकार महोदय कि विगत दिनों एक थानेदार से झड़प हो गई। झड़प क्या मारा मारी हो गई। थानेदार ने पत्रकार महोदय से ये तक कह दिया कि तुम्हारा बजन बढ़ा दूंगा और पत्रकार महोदय कि गाडी ठाणे मैं बंद करवा दी।इतना सब होने के बाद भी ग्वालियर के कई पत्रकार सिर्फ पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देने पहुंचे और वहां भी कुछ नहीं हुआ। आज भी वो थानेदार ड्यूटी पर है।धन्य है ऐसे पत्रकारों को और धन्य है ऐसी पत्रकरिता को।
9.2.10
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2 comments:
भाई जी ! पत्रकार फन्ने खां नहीं होते जो कुछ भी करें, पुलिस कर्मी ने अपनी ड्यूटी की इस लिये वो अपनी ड्यूटी पर अभी भी है... आप कलम को क्यों कोस रहे हैं
janab, jang gwalior ke reporters ki kalam ko nahi.... editors ki kalame sookh gai hai
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