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10.5.10

अनजानी चाहत का भी एक अंजाना अंत था.


अनजानी चाहत थी या अंजाना लगाव था,
क्या पता था हमें की, इस अनजानी चाहत का भी एक अंजना अंत था.
जब उसकी बेवफाई मिली हमें उपहार में,
तो हमने अपने जीवन को त्याग दिया बेकार में.............

फिर क्या था
मरने के बाद हम तो दंग रह गए क्योंकि जगह मिली नरक में,
और खुदा से पूछा की मैंने कौन सा पाप किया था,
की मरने के बाद जगह दी मुझे इस कठोर नरक में,
फिर खुदा ने कहाँ, तुझे तेरे कर्मो का फल मिला हैं,
क्योंकि तू सबके लिए नहीं, तू सिर्फ एक के लिए जीया हैं.
भूल गया उन रिश्तो-नातो को, उनके हर जज्बातों को,
जिनकी हर दुआ में सिर्फ तेरा ही नाम था.
और तुने उनकी परवाह ना करते हुए उस बेवफा के नाम पर
अपने जीवन को गवा दिया.............

तब अफ़सोस हुआ ये सुनकर, की काश मेरी आखे पहले ही खुल जाती,
तो आज मैं इस नरक में ना होता, और अपनों के साथ वहां होता,
कर रहा होता उनके सपने पुरे, जो अब मैंने कर दिए अधूरे,
कितने ख्वाब सजये थे माँ-बाप ने,  की मैं भी औरो की तरह उनका नाम रौशन करता,
लेकिन सारे अरमानो और सपनो का गला दबा दिया, और अपने माँ-बाप, भाई-बहन को
अकेला छोड़ कर यहाँ आ गया.............

अब भी वक्त हैं तुम्हारे पास, सुधार जाओ,
और मेरे भाईयो मेरे जैसे दुसरे भाईयो को भी अपने माँ-बाप से प्यार करना सिखाओ,
क्योंकि माँ-बाप के प्यार में वो शक्ति हैं, जो तुम्हे किसी भी मुसीबत से निकाल सकती हैं,
भगवन के बाद माँ-बाप का पद आता हैं,
इसलिए मैं उनके सम्मान में अपना ये शीश झुकता हूँ..........



आई लव यु मोम एंड डैड
आई नेवर लेफ्ट माई लाइफ फॉर  ऐनी वन
बिकॉज यू हैव आल राईट एंड कण्ट्रोल ऑन माई लाइफ................



By : Pawan Mall 

3 comments:

SANJEEV RANA said...

बहुत बढ़िया

Anonymous said...

Splendidly done is sick than extravagantly said.

Anonymous said...

Well done is well-advised b wealthier than extravagantly said.