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9.6.10

अन्तिम छोर पर खडे व्यक्ति की मुस्कराहट मेरा पुरस्कार: निशंक


‘इस्कॉन‘ अवार्ड पाने वाले पहले उत्तरभारतीय राजनेता
डा. निशंक के अभिनव प्रयोगों को देश ने दी मान्यता।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने थपथपायी पीठ
राजेन्द्र जोशी
देहरादून, 8 जून। नवोदित राज्य उत्तराखण्ड के अस्तित्व में आने के बाद से राज्य की वित्तीय ढाँचे के चरमराने की आशंकाएं समय-समय पर उठती रही लेकिन सूबे के मुखिया डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक विकास के जिस रथ पर सवार होकर आगे बढ़ रहे हैं। उसने उन तमाम आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया आखिरकार उत्तराखण्ड के विकास के लिए उनके द्वारा तैयार किए गए ‘रोड मैप‘ पर पूरे देश का ध्यान गया है।
चहुमुंखी व चतुर्दिक विकास, कानून का शासन और सहभागी लोकतंत्र की जिस मूल अवधारणा‘ को डॉ. निशंक ने उत्तराखण्ड में प्रतिपादित किया, प्रदेश के अन्य राज्य विकास के लिए उनके प्रयोगों को अपने राज्यों में क्रियान्वित करने के लिए आतुर दिखते हैं। शायद इसी लिए भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के ‘सुराज संकल्प सम्मेलन मुंबई‘ में विकास के उनके मॉडल को सराहा गया और उनके सुशासन को अनुकरणीय उदाहरण बताया गया।
इसी सदी के विराट पर्व ‘महाकुंभ 2010‘ की निर्विघ्न सम्पन्नता पर जहाँ डॉ. निशंक की बेहतर प्रबंधन के लिए पीठ थपथपाई गई वहीं देववाणी संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने पर उनके इस ऐतिहासिक प्रयोग की मुक्त कंठ से प्रशंसा भी की गई।
उत्तराखण्ड जैसे नये राज्य में जहाँ आर्थिक संसाधनों का पूर्णतयाः अभाव है। वहां वित्तीय नियोजन में दक्षता मायने रखती है। डॉ. निशंक के बेहतर वित्तीय प्रबन्धन को देखते हुए 13 वें वित्त आयोग ने उत्तराखण्ड को एक हजार करोड रूपये की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की है। यह अपने आप में एक मिसाल है। प्रदेश के कर्मचारियों के लिए छठे वेतनमान कि सिफारिशें लागू हुई जिसके कारण प्रदेश पर 2500 करोड का अतिरिक्त वित्तीय भार आया इसके बावजूद सरकार ने जनता पर कोई नया कर नहीं लगाया इसके विपरीत रोजमर्रा की उपभोग की सामग्री मसलन दही, सूजी, मैदा जैसी अनेकों दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर वैट की दरें घटा दी ‘विजन 2020 का क्रियान्वयन‘ डॉ. निशंक सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जिसमें तीर्थाटन, पर्यटन, आयुष, जडी-बूटी कृषिकरण गौ, गंगा व संस्कृति का संरक्षण, संस्कृत देवभाषा का उन्नयन, सूचना प्रौघोगिकी के विकास के साथ-साथ प्रदेश के अन्तिम छोर पर खडे व्यक्ति को सुखी, सम्पन्न व खुशहाल बनाने की शीर्ष प्राथमिकता है।
डॉ. निशंक का मामना है कि ‘विकास एक सतत प्रकिया है। उत्तरोत्तर विकास हमारी प्राथमिकता है। जहाँ तक खरा उतरने का सवाल है हम कभी भी विकास के पैमाने पर अपने आप को तब तक संतुष्ट नहीं मानेगें जब तक विकास की किरण पहाड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के आम व्यक्ति तक न पहुंचे जाए यह एक कठिन व श्रम साध्य प्रक्रिया है।
विकास के मामले में डॉ. निशंक उत्तराखण्ड को एक ‘रोल मॉडल‘ के रूप में खडा करना चाहते है। उत्तराखण्ड में उनके द्वारा किए गए अभिनव प्रयोगों पर मुंबई में उन्हें प्रशस्ति मिली है।
मुंबई की प्रतिष्ठित संस्था इस्कॉन ने डॉ. निशंक की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर उन्हें ‘इस्कॉन‘ अवार्ड से नवाजा है। इस संस्था से सिने जगत की नामचीन हस्तियों सहित विभिन्न क्षेत्रों की ख्याति प्राप्त शख्सियत जुडी हुई है। इस सम्मान को पाने वाले डॉ. निशंक केवल उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के एक मात्र राजनेता होंगे जिनके कृतित्व पर ‘इस्कॉन‘ संस्था ने मुहर लगाई है।
इस्कॉन अवार्ड मिलने पर डॉ. ‘निशंक‘ ने कहा ‘मैं अपना काम कर रहा हूॅ। उत्तराखण्ड को सम्रद्ध व खुशहाल राज्य बनाना मेरा सपना है। प्रदेश के अन्तिम छोर पर खडे व्यक्ति के चेहरे की मुस्कराहट ही मेरे लिए सबसे बडा पुरस्कार है। मैं, अपने मकसद को लेकर दृढसंकल्पित हूं। विज़न -2020 मेरी आँखों में है। उत्तराखण्ड को मॉडल स्टेट बनाना हमारा लक्ष्य है।

2 comments:

Sunita Sharma Khatri said...
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Sunita Sharma Khatri said...

निशंक जी एक काबिल मुख्यमंत्री है उत्तराखण्ड उनके नेतृत्व में निसंदेह एक अपने लक्ष्य को हासिल करेगा जिस तरह उन्होने यहां विकास के लिए हर पहलू पर ध्यान दिया उससे लगता है वह कामयाब होगें ।