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15.6.10

कानून हमारी मुठठी में

भारतीय संविधान में रूल आफ ला की स्‍थापना की गयी है।यानि देश के प्रत्‍येक नागरिक को विधि के समक्ष समता प्राप्‍त है एवम हर एक को विधि का समान संरक्षण प्राप्‍त है। लेकिन यह केबल पढने व देखने के लिये है। जमीनी स्‍तर पर हकीकत कुछ अलग है। अपने यहॉं छोटे शहरों,नगरों ,दूरदराज के कस्‍बों में काफी कुछ कानून का राज नहीं है। कुछ प्रतिशत वोट पाकर निर्वाचित नेता अपने हिसाब से राज चला रहे हैं।यह सोलह आने सच है।अगर आप नहीं मानते तो मेरे इन अनुभवों से रूबरू हो लीजिये। उत्‍तर प्रदेश में जनपद बदायूँ में विधानसभा क्षेत्र बिल्‍सी है,यहॉं से सुश्री मायावती जी भी जीत कर सीट छोड चुकी हैं। इस समय यहॉं से निर्वाचित नेताजी यागेन्‍द्र सागर हैं। इन पर आरोप है कि इन्‍होने एक छात्रा को अगवा कर उससे लगातार रेप किया। लोगों की जानकारी में यह इल्‍जाम नहीं, बिल्‍कुल सच है।इस समय विधायक जी ने पीडित पक्ष को सबक सिखाने के लिये लडकी के भाइयों,व उसके साथ वालों पर किसी एक महिला से बलात्‍कार का मुकदमा ठोक दिया है।यह महिला विधायकजी के खास की पत्‍नी है,जिसने नेताजी की क्रपा से नौकरी प्राप्‍त की है।अब विगत दो तीन दिन पूर्व जब विधायकजी पर आरोप लगाने वाली लडकी के भाइयों ने जब कोर्ट में सरेंडर किया तब बदायूं की एस,ओ,जी, टीम ने न्‍यायालय परिसर से आरोपियों को खींचकर पकडना चाहा तो वकीलों व पुलिस में भिडंत हो गयी। पूरे फिल्‍मी अंदाज में पुलिस सादा वर्दी में गन ताने हुयी थी,लोग इधर-उधर जान बचाने के लिये दुबक रहे थे,चीख रहे थे।वकील आक्रामक अदांज में एकजुट होकर हूक लगा रहे थे। अगले दिन अखबारों से पता लगा कि सी,जी,एम साब के आदेश पर 12 पुलिशवालों के विरूद्ध रिर्पोट लिखी गयी है,जिसमे शहर के एस,पी, साब भी शामिल हैं।साथ ही एस,ओ,जी,ने भी 8वकीलों के विरूद्ध जानलेवा हमले की रिर्पोट लिखायी है।इस पूरे प्रकरण से लोगों में भय है,इस मामले में कोइ मुंह नहीं खोलना चाहता। क्‍योंकि नेता,पुलिश,प्रशासन यहॉं कानून को अपनी मुटठी में रखते हैं।इस बदायूं जनपद के बारे में एक बात और बता देना जरूरी है कि कुछ समय पूर्व यहॉ लगभग 9 बजे से केविल टी,वी, पर ब्‍ल्‍यू फिल्‍म धडल्‍ले से प्रसारित कर दी जाती थी।यह मैने स्‍वंय देखा और केविल टी,वी, वाले को डॉंटकर कर्त्‍वय की इति श्री कर ली।यह शहर कितना सुरक्षित है,जरा बानगी देखिये। एक रात लगभग 8 बजे इन्‍द्राचौक को जैसे ही पार किया,एक सामने से पी,ए,सी के ट्रक से सिपाहियों ने मुझे उतर कर बेइतहॉं मारा,उनकी रायफलों की बटों ने मेरा मुंह सुजा दिया था। उस रात में अपने घर नहीं गया,अपने एक नजदीकी के यहॉं रूका।उस घर में लोंगों ने मुझसे मजाक की कहा कि क्‍या आपने पीना शुरू करके लडकियॉ छेडनी शुरू कर दी हैं।मुझे अपनी पिटायी का कारण केबल अपनी बढी हुयी दाढी लगी क्‍योंकि उस समय शहर में कुछ तनाव था।जरा बरेली जिले के ऑंवला कस्‍बे में कानून के साथ खिलवाड का उदाहरण देखिये। मेरे एक भाई एम,एल,सी, चुनाव के दौरान डयटी पर थे,उन्‍हाने वहॉं लाइन मे लगे एक पहलवान से दिखने वाले लडके को बार-बार वोट डालने से रोकने की कोशिश की।वह ऑंखों के सामने सबको चुनौती देने वाले लहजे में फर्जी वोटिग कर रहा था। जब ऐसा करने से रोका गया तब वहॉं लोगों ने एकजुट होकर बहुत गाली-गलौज की।वे लोग उन पर बी,जे,पी, पार्टी का सरकारी ऐजेंट होने का आरोप लगा कर जान से मारने की धमकी दे रहे थे। वहॉ खडा एक युवक मेरे भाई की नौकरी खा जाने की भी धमकी दे रहा था। किसी तरह वे पिटने से बचे। वहॉ बैठे एस,डी,एम, एव सी,ओ ने मूकदर्शक बनकर घटना की ओर से मुंह दूसरी तरफ कर लिया।साथ में नियुक्‍त दरोगा ने समझाया कि यहॉं कुछ नहीं होगा क्‍योंकि यह कार्य सब लोगों की मिली-भगत से हो रहा है।उन्‍हें अपनी जान बचा कर निकल लेना चाहिये। इस घटना का ब्‍यौरा मैंने अपने भाई की डायरी से लिखा है। उन्‍होंने लिखा है कि चुनाव डयूटी से लौटकर वे सो नहीं पाये,और धीमे-धीमे रोये भी। मुझे लगता है ...................रूल आफ ला के जनक डायसी होते तो भारत में अपने सिद्धांत की इस कदर धज्जियॉं उडते देखकर कहते कि मेरा असली विचार मुझे वापस करो ।अब मुझे तुम पर शर्म आती है। शेष अगले ब्‍लाग में।

1 comment:

Unknown said...

बात आपने बिल्कुल सही लिखी है, कोई माने या न माने लेकिन जो सच है वो सच है। मेरा आपके जैसा कोई अनुभव तो नहीं है पर इन सब को थोड़ा नजदीक से देखा है कैसे नेता कुर्सी के बल पर हर काम करवाते हैं, कोई भी टेंडर निकलता है तो मंत्री तय करते हैं की वो किसे दिया जाएगा।

क्या कर सकते हैं? बस यहाँ आकार मन की भड़ास निकलता हूँ।