काशीपुर-बेलगछिया विधानसभा क्षेत्र शंकर जालान कोलकाता। उत्तर कोलकाता की बहुचर्चित विधानसभा सीट यानी काशीपुर-बेलगछिया क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबले के बीच माकपा, तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के उम्मीदवारों समेत निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ रहे तीनों उम्मीदवारों को अपनी-अपनी जीत का पूरा भरोसा है। माकपा की कनिनिका घोष, तृणमूल कांग्रेस की माला साहा और भाजपा के आदित्य टंडन न केवल अपने-अपने स्तर पर चुनाव प्रचार और मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं, बल्कि अपनी-अपनी जीत के प्रति आश्वस्त भी दिख रहे हैं।काशीपुर, सिंथी मोड़, बेलगछिया, पाइपपाड़ा, टाला पार्क व चित्तपुर रोड जैसे घनी आबादी वाला यह विधानसभा क्षेत्र छह वार्डों से घिरा है। वार्ड नंबर एक से छह वाले इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख 55 हजार है, जिसमें हिंदीभाषियों की संख्या 40 हजार और अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं की संख्या करीबन साढ़े 29 हजार है। इस आंकड़े के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि काशीपुर-विधानसभा क्षेत्र का विधायक चुनने में हिंदीभाषियों व अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की अहम भूमिका होगी। मालूम हो कि परिसीमन के कारण बेलगछिया (पश्चिम) को भंग कर काशीपुर-बेलगछिया नामक नए विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया है। प्रचार के दौरान कैसा समर्थन मिल रहा है? जीत के प्रति कितने आश्वस्त हैं? आप की नजर में क्षेत्र की मुख्य समस्या क्या है? अगर जीत हासिल हुई इलाके के विकास के लिए क्या-क्या करेंगी? इन सवालों के जवाब में वाममोर्चा समर्थित माकपा की उम्मीदवार कनिनिका घोष का कहना है कि प्रचार के दौरान उन्हें मतदाताओं का अच्छा-खासा समर्थन मिल रहा है। मेरी जीत पक्की है। मेरे नजरिए से इलाके में पेयजल की गंभीर समस्या है। अगर मतदाताओं ने मुझे मतदान रूपी आशीर्वाद देकर विधानसभा भवन पहुंचाया तो पेयजल समेत बदहाल सड़कों की मरम्मत के साथ-साथ स्थानीय लोगों की हर समस्या के समाधान के लिए ईमानदारी से प्रयास करूंगी।एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से ज्यादातर बार बेलगछिया (पश्चिम) सीट पर माकपा के उम्मीदवार जीतते आएं है। केवल 1987 में कांग्रेस के सुदीप्त राय और 2006 में तृणमूल कांग्रेस की माला साहा ने यहां से जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि बीते विधानसभा चुनाव में भले ही यहां से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली हो, लेकिन पिछले पांच सालों से क्षेत्र का कोई विकास नहीं हुआ। 2006 से पहले माकपा के विधायक राजदेव ग्वाला ने क्षेत्र के विकास के लिए जो काम किया था, 2011 तक उसमें कोई इजाफा नहीं हुआ। इसीलिए जनता अब पछता रही है कि उनसे बीते चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार के पक्ष में क्यों वोट डाला। जनता इस चुनाव में अपनी पिछली गलती को सुधारते हुए फिर क्षेत्र की कामन माकपा के हाथों में सौंपेगी, ताकि इलाके का समुचित विकास हो सके।वहीं, तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार माला साहा का कहना है कि बीते चुनाव में जब परिवर्तन की हवा नहीं थी, मैंने राजदेव ग्वाला को 538 मतों से हराया था। अब काशीपुर-बेलगछिया ही क्यूं पूरे राज्य में परिवर्तन की हवा है और राज्य की जनता माकपा के आतंक से तंग आ चुकी है। उन्होंने कहा कि बीते पांच साल के दौरान मैंने इलाके के विकास के लिए जितना काम किया है। माकपा के विधायकों ने बीस साल में नहीं किया। दूसरी ओर, भाजपा के आदित्य टंडन का कहना है कि परिवर्तन का अर्थ सिर्फ झंडा परिवर्तन नहीं है। सही मायने में परिवर्तन तभी होगा, जब व्यवस्था बदलेगी और साफ-सुथरी छवि वाले लोग विधायक चुने जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में सुशासन केवल भाजपा ही दे सकती है। उन्होंने कहा कि मैं चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं से गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश समेत भाजपा शासित राज्यों का उदाहरण पेश कर रहा हूं साथ ही भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किए गए जनहितकारी कार्यों का हवाला दे रहा हूं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हिंदीभाषी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है और इसका लाभ मुझे अवश्य मिलेगा, क्योंकि माकपा व तृणमूल के उम्मीदवार गैर हिंदीभाषी हैं।
15.4.11
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