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4.4.11

गणगौर की तैयारियां जोरों पर

शंकर जालान कोलकाता। वृहत्तर बड़ाबाजार के बांसतला, बड़तला, ढाकापट््टी, गणेश टाकीज, मालापाड़ा, हंसपुकुर, नींबूतला, कलाकार स्ट्रीट के अलावा हावड़ा, अलीपुर, साल्टलेक व वीआईपी रोड में तीन दिवसीय गणगौर मेले की तैयारियां शुरू हो गई है। राजस्थान के बीकानेर की तर्ज पर तीन दिनों तक लगने वाले गणगौर मेले का उद्घाटन का क्रम मंगलवार से शुरू होगा। गणगौर मेले को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न कमिटियों की ओर से बड़ाबाजार की कई सड़कों व गलियों को जगमगाती रोशनी, तोरणद्वार और फूल-मालाओं से दुल्हन की तरह सजाया गया है। गणगौर उत्सव के मद्देनजर एक ओर जहां गणगौर मिलन और पानी पिलाने की रस्म जोरों पर है, वहीं दूसरी ओर गणगौर मेला कमिटी के सदस्य गीत-गायन के रिहर्सल में जुटे हैं।गवर माता, गवर माता खोल ए किवाड़ी, ये बायां आयी पूजन..., जैसे गीतों की स्वरलहरी के साथ राजस्थान के प्रमुख पर्व गणगौर को लेकर यहां के राजस्थानियों में काफी उत्साह है। गणगौर मेले को लेकर यहां की नौ गणगौर मंडलियां श्री श्री गवरजा माता पारख कोठी, बांसतला, नींबूतला, गोवर्धननाथजी, बलदेवजी, हंसपुकुर, गांगुली लेन, कलाकार स्ट्रीट और मनसापुरण मंडलियों के सदस्य अपने-अपने काम में जुटे हैं। इसके अलावा श्री श्री गवरजा माता वीआईपी अंचल, हावड़ा, साल्टलेक और अलीपुर में भी गणगौर उत्सव की धूम चल रही है।गणगौर मेले के उद्घाटन के बाद से भजन-संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शोभायात्राओं दौर चलेगा। बड़ाबाजार के अलावा वीआईपी रोड, साल्टलेक और अलीपुर क्षेत्र में भी बीते कुछ सालों से गणगौर मेले की धूम मचने लगी है, लेकिन बड़ाबाजार के मेले की रौनक कुछ और ही रहती है। बड़ाबाजार अंचल में रहनेवाले राजस्थानियों में गणगौर मेले के प्रति उत्साह देखते ही बनता है। तीन दिवसीय मेले में विभिन्न गवरजा मंडलियों द्वारा निकाली जानेवाली झांकियों के प्रति भी उत्साह कम नहीं है।वैसे तो गणगौर पूजन कुंवारी कन्याएं श्रेष्ठ वर (पति) पाने के लिए करती हैं। जहां होलिका दहन के दूसरे दिन से ही कन्याएं होलिका दहन की राख से 16 पिंडियां बनाकर विधिवत गणगौर पूजन शुरू कर देती हैं। वहीं, यहां की सभी गणगौर मंडलियां माता गवरजा की अगवानी में लग जाती हैं।तीन दिवसीय मेले का मुख्य आकर्षण होता है नवगीतों की प्रस्तुति। प्रत्येक मंडली द्वारा गीत पेश किया जाता है और इस प्रस्तुति की विशेष बात यह रहती है कि गीत बिल्कुल नया रचित होता है। गीत-गायन में शामिल लोग पूर्ण राजस्थानी परिधान जैसे साफा, धोती और सिल्क का कुर्त्ता पहन कर बड़ाबाजार में बीकानेर जैसे माहौल तैयार कर देते हैं।मंडलियों द्वारा निकाली जाने वाली झांकियों को देखने के लिए देर रात तक भारी तादाद में स्थानीय लोग रास्ते के दोनों किनारे खड़े रहते हैं। कहीं-कहीं तो लोग आरती, पुष्पवर्षा या गर्म-शीतल पेयजल से शोभायात्रा में शामिल लोगों का स्वागत करते नजर आते हैं। रात सात बजे से शुरू होने वाला उत्सव देर रात तक जारी रहता है।

1 comment:

Dr (Miss) Sharad Singh said...

इस जानकारी पूर्ण लेख के लिये बहुत बहुत आभार !
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं .