राष्ट्र हित मे अन्ना हजारे जी का आमरण अनशन।
दिनांक- 7/4/2011
इतिहास गवाह है कि हमारे देश मे जब-जब देश एवं जन हित के मुद्दे पर समाज से कोई उठ कर आन्दोलन किया, तब-तब उसे अनेको यतनाओं, बलिदान करना पड़ा। ऐसा ही एक संघर्ष अन्ना हजारे जी का आमरण अनशन है। 1968 से आज 2011 इन 43 वर्षो मे देश मे लोकपाल विधेयक को मंजुरी नही मिल पाई। इसका प्रमुख कारण सत्ताधारी हो चाहे विपक्ष सभी को यह विधेयक गले का फंदा जैसा लगता रहा। जो आज विपक्ष मे है वह कल सत्ता मे था जो आज सत्ता मे है बह कल विपक्ष मे बैठा होगा। इन्ही जन प्रतिनिधीयों ने अपने फायदे के लिए आज तक इस विधेयक को पारित होने नही दिया, और कभी इस विधेयक पर संसद मे न तो कोई बहस हुई और नही इस मुद्दे को कभी उठने दिया गया। वास्तव मे संसद के पटल पर यह मुद्दा उठाने वाले जनप्रतिनिधी खुद आकंठ भ्रष्टाचार मे डूबे हुए थे तो कौन इस मुद्दे को उठाता। जो बिल्कुल पाक-साफ होता वही इस मुद्दे को उठाने की हिम्मत कर सकता था। आज सत्ता से लेकर विपक्ष तक के लगभग सभी जनप्रतिनिधी एन केन प्रकारेण भ्रष्टाचार मे डूबे हुए हैं। ऐसी हालात मे देश की जनता किस पार्टी या जनप्रतिनिधी पर विश्वाश करे। हमारे देश के सभी राष्ट्रीय पार्टीयो को केवल अपने वोट और धन वटोरने की ही चिंता हमेशा से रही है। जिसके फलस्वरुप इन जन प्रतनिधीयों को देश मे चुनाव जितने के बाद जनता की उन्नती एवं कल्याण के कामो से कोई भी सरोकार नही होता है। अपरोक्ष रुप से उनका उद्देश सिर्फ धन वटोरने से ही रहाता है। देश मे चलने वाली बहुत से ऐसे परियोजनाओं को ही मंजूरी मिल पाती है, जिसमे इन प्रतिनिधीयों के तिजोरीयां रुपयो से भर सके। और जब उनके पास इतना ज्यादा धन आ गया कि तिजोरी छोटी पड़ने लगी तब भ्रष्टाचारीयो ने अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए सूईस बैंक का सहारा लिया। और इस तरह भ्रष्टाचार से कमाया गया धन का दायरा बड़ा होता चला गया। साथ ही साथ भ्रष्टाचारीयों की हिम्मत भी बढ़ती चली गई। इस तरह यह काला धन दुनिया वालो के नजरो से तो छुपा ही रहेगा साथ ही साथ इन्कम टैक्स वालो से भी, ऐसी स्थीती मे आमजनता किसको विश्वास करेगी वह व्यक्ति कौन होगा जो इस भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारीयों से देश को मुक्त करा सकेगा ऐसे मे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना जी ने समाज को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए विड़ा उठाया। इसमे कोई दोराय नही है कि यह सरकार किसी विषय मे निर्णय करने के मामले मे विल्कुल अक्षम रही है इसका कारण चाहे कुछ भी हरा हो, ठिक इसी तरह अभी-अभी जाट लोगो द्वारा किए गये रेल रोको प्रर्दशन मामले मे भी रहा है, खैर यह प्रर्दशन एक विशेष जन समुह तक सिमीत था। लेकिन लोक पाल विधेयक भ्रष्टाचार पर रोक लगाने पर एक राष्ट्रीय मुद्दा है, इस मुद्दे पर केवल भ्रष्टाचरीयों को छोड़ कर पूरा राष्ट्र एक है। यदि इस मुद्दे पर अभी समय रहते निर्णय नही लिया गया तो आज का अमरण अनशन जन विद्रोह मे भी बदल सकता है।
1 comment:
हमारे लिए भूखा है 77 साल का अन्ना, अब तो जा
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