reenakari: बचपन के बिना बचपन ...!: "बचपन के बिना बचपन ...! जीवन के आखरी पड़ाव पर जब पहुच जाये कोई और उससे पूछा जाये ,की यदि जीवन का कोई एक पड़ाव फिर से जीने को मिले तो वो क..."
10.4.11
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
reenakari: बचपन के बिना बचपन ...!: "बचपन के बिना बचपन ...! जीवन के आखरी पड़ाव पर जब पहुच जाये कोई और उससे पूछा जाये ,की यदि जीवन का कोई एक पड़ाव फिर से जीने को मिले तो वो क..."
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