की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,
तुने दिए जो तोफे मुझे ,
बोलने मैं क्या बोलू उनको ,
बस इतना जरुर बयां करदू ,
की तेरे तोफो को सजों ,कर रखने मैं ,
मैं बहुत कमजोर हुवा हु ,
तेरी तरह हु एक व्यक्तित्व मैं भी ,
आज तेरे तोफो की खातिर ,
अपने व्यक्तित्व से दूर हो चला हु,
दिए जो तोफे मुझे ,तो ये भी बता जाता ,
कैसे रखना था सजों के तेरे तोफो को ,
की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,
जिसे कभी चाह था तुने ...,
10.4.11
की क्या पता बचा पाता मैं अपने व्यक्तित्व को ,
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