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17.4.11

बाबा की फजीहत का दौर....

सत्यप्रकाश पाण्डेय
               अपने बड़बोलेपन और बेबाक बयानों के लिए बदनाम दिग्गी राजा यानी  कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर से योग गुरू बाबा रामदेव पर कटाक्ष किया है... दिग्गी राजा कहते है की योग गुरु बाबा रामदेव के पास १० साल पहले तक अपनी साईकिल का पंचर जुडवाने के लिए पैसे नही थे आज वो एक हजार एक सौ करोड़ के आसामी आखिर कैसे बन गए...? दिग्विजय सिंह का यह  बयान  आज के अखबारों में पढ़कर लगा जैसे वो अपनी खीझ मिटा रहे हो या फिर बाबा के बार-बार काला धन वापस लाओ की मांग से परेशान है....वजह जो भी हो दिग्गी बाबू बड़ी ही बेबाकी से बाबा रामदेव के खिलाफ बोल रहें है...उनका बयान पढ़कर लगता है की बाबा की फजीहत का दौर जल्द शुरू होने वाला है....पिछले कई महीनो से काला धन वापस भारत लाने और भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए आवाज उठाते योग गुरु को हालाँकि अपेक्षित जनसमर्थन नही मिला जबकि अन्ना हजारे ने ९८ घंटे में ही  आमरण अनशन के जरिये  देश का व्यापक जनसमर्थन हासिल कर लिया...जाहिर है योग गुरु के विरोध और अन्ना के विरोध का तरीका और मकसद दोनों अलग है....तभी तो सैकड़ो सभाओ में गला फाड़ने के बाद भी बाबा रामदेव जनता का विश्वास हासिल नही कर सके...हालाँकि पिछले दिनों बाबा ने अन्ना के मंच से खूब भड़ास निकली...जब तक राजनेता रामदेव को केवल योग गुरु मान रहे थे तब तक उनके सम्मान में कोई भी बयान देने से बचते रहे लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से बाबा ने राजनीती में आने के संकेत दे दिए तो नेताओ ने दिल में उनके खिलाफ भरा गुबार  बाहर निकलना शुरू कर दिया.. तभी तो दिग्गी राजा ने इंदौर में मिडिया के समक्ष कहा कि आज से 10 साल पहले योग गुरू के पास साईकिल का पंचर बनवाने के लिए पैसे नहीं थे, और आज वो करोड़ो-अरबों के मालिक है आखिर उन के पास कोई जादू की छड़ी आ गई है क्या जिसके चलते वो रातों रात राजा बन गये, उन्हें अपनी संपत्ति का ब्यौरा हर हलात में सार्वजनिक करना चाहिए....कालेधन पर नकेल कसने के लिए तैयार बाबा रामदेव पहले अपने गड़े धन के बारे में बतायें, सबको पता है कि अगर कोई ईमानदारी से कमाये तो उसे दस साल क्या बीस से पच्चीस साल लगेंगे करोड़ो कमाने में...दिग्गी ने ये भी कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिये कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ़ बडी-बडी बातें करने वाले योग गुरु को दान में कहीं काला धन तो नहीं मिला...? 
                                 बिल्कुल,बाबा रामदेव को अपनी सारी संपत्ति और ट्रस्ट का लेखा-जोखा सार्वजनिक कर देना चाहिए...लेकिन ये तब संभव होगा जब बाबा सफ़ेद और काले धन में अंतर स्पष्ट कर देंगे...मतलब बाबा पहले ये साफ़ कर दे की ट्रस्ट में दान के रूप में आने वाली हजारो-करोडो की राशि कौन से धन{काला-सफ़ेद}में शामिल है..? बाबा ने राजनेताओ पर निशाना साधा तो भला दिग्गी जैसे चालाक राजनीतिज्ञ का खामोश रहना शायद संभव नही था...तभी तो दिग्गी बाबू ने योग गुरु से पूछ ही लिया कि बाबा जी आपके पास तो साईकिल का पंचर बनाने राशि नही थी तो भला १० साल में ऐसा कौन सा जादू हो गया कि आप ११०० करोड़ के मालिक बन बैठे...? जवाब में बाबा जो भी कहें लेकिन ये तय हो गया है कि बाबा की राजनीति में आने की लालसा उनके कपडे कम करती चली जाएगी...
                     मुझे आज भी याद है अविभाजित मध्यप्रदेश के ज़माने में छत्तीसगढ़ के संत पवन दीवान का काफी नाम हुआ करता था...मै उस वक्त स्कूल में पढ़ता था,पापा और उनके परचितो से संत पवन दीवान की कभी कभार चर्चा कानो में सुने दे जाया करती थी,आज जब मै जानने समझने लायक हुआ तो उन्ही पवन दीवान का नाम दूर-दूर तक कानो में नही सुनाई पड़ता...वजह सिर्फ राजनीति लालसा...मुझे लगता है बाबा की हालत भी कुछ वैसी ही होने वाली है हालाँकि अभी ना तो बाबा ने किसी राजनैतिक पार्टी का एलान किया है ना किसी राष्ट्रीय पार्टी को खुलकर समर्थन देने की घोषणा...परिस्थितिया उन दिनों क्या होंगी जब योग गुरु राजनीति के दलदल में खुले तौर पर छलांग लगा देंगे,क्योंकि इस मुल्क के आवाम ने कई साधू-महात्माओ के कपडे फटते और उतरते देखे है...ऐसे में कांग्रेस महासचिव का योग गुरु के खिलाफ इतना सख्त बयान सही मायने में बाबा जी को वक्त बिगड़ने से पहले की चेतावनी है....  
                                                 वैसे भी योग गुरु के योग की जरुरत खाए-पीये अघाए लोगो को है...जो इस देश का श्रम वीर है उसे आज भी योग की जरुरत नही है...गरीब और मेहनतकश को करेले,लौकी के जूस की जरुरत नही है....बाबा जी ये भूल गए है की सड़क की लड़ाई या यूँ कहूँ की सड़क पर पसीना मेहनतकश लोग बहाते है ऐसे में बाबा के साथ समर्थको का संकट आने वाले  दिनों में जरुर नजर आएगा ..खैर बाबा जी ने पिछले १० बरस में आर्थिक सम्पन्त्ता और सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल करने के बाद राजनीतिक सम्मान पाने का खवाब संजो रखा है...देखते है बाबा को आने वाला वक्त कितना सम्मान और यश दिलाता है....

1 comment:

त्यागी said...

शायद एक मोटा अंतर लोग नहीं जानते की योगी और संत में एक अंतर होता है. बाबा रामदेव योगी है कोई संत नहीं. योगी का आत्मविश्वास तोडना टट्टू टाइप के नेताओ के बसकी नहीं है. श्री कृष्ण एक योगी थे संत नहीं और इसी योग माया से महाभारत का इतना बड़ा युद्ध सफलतापूर्वक न केवल संचालित किया बल्कि कोरोवो को हरवा कर ही दम लिया. सभी पत्रकार मोहद्यो को मेरा विनम्र निवदन है बाबा रामदेव के बारे में लिखने से पहेले कुछ समय हिमालये की तराई में या काशी में समय बीताये. काले, कालवे और कल्लू धन के मालिक भ्रष्ट नेता अपने अपाहिज बच्चो पर इस धन को खर्च करेंगे, तो करो भाई करो. परन्तु राम देव के लड़ाई बहुत से लोगो को बड़ी भरी पड़ने वाली है. इस बात को नोट करले.
Tyagi
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