11.4.11
जैसे चाँद की चांदनी होती ,
की काश तेरे साथ की चाहत पूरी होती ,
जैसे चाँद की चांदनी होती ,
तुझे क्या बताऊ मैं ,
किस तरह बन जाती मैं ,
रहती साथ तेरे और ,
बदलो में भी गुम हो जाती मैं ,
बदलो में होकर भी गुम ,
बदलो के साथ ना जाती ,
होती पूर्णिमा ,होती अमावश्य ,
तेरे होने पर ही होती मैं ,
मेरे अस्तित्व पे भी ,
तेरा ह़क होता ,
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