माँ बनना किसी के लिये भी खुशी की बात हो सकता है, लेकिन उसके लिये यह ऐसा जख्म है जिसकी टीस उसे जिंदगी भर रहेगी। उसका गुनाह शायद इतना भर रहा कि वह उन गरीब की बेटी थी। जिनके बारे में कुछ नहीं जानती। दूसरों के टुकड़ों पर किसी तरह जिंदगी पलती रही। 13 साल की कच्ची उम्र में एक इंसानरूपी भेड़िये की हवस का शिकार होकर वह मासूम बिन ब्याही माँ बन गई। बिस्तर पर पड़ी रानी बदला हुआ नाम अब स्कूल जाना छोड़ देगी। खुद खेलने की उम्र में वह अपने बच्चे की परवरिश करेगी। कथित सभ्य समाज की यह वह नंगी हकीकत है, जिसे देखना-सुनना मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाला है। कानून के पहरेदारों को शिकायत का इंतजार है, तो ऐसे संगठनों की कमी नहीं जो अब ढिंढोरा पीटकर अपनी मौजूदगी दर्ज करायेंगे। कुंवारी माँ इस काबिल भी नहीं कि ऐसी चुनौती दे सके जिससे आरोपी को सजा मिले जाये।
रांची की एक झोपड़ी में होटल चलाने वाले दंपत्ति को रानी दो साल की उम्र में सड़क पर मिली। दंपत्ति ने उसे पाला ओर अपने साथ ही काम पर लगा लिया। रानी 13 साल की हो गई। एक कच्ची उम्र में लोग उसे गलत निगाह देखते थे। रानी का पेट बढ़ना शुरू हुआ, तो दंपत्ति ने उसका निकलना बंद कर दिया।अस्पताल ले जाया गया जहां उसने एक बेटी को जन्म दिया। उसकी कोख में अंगारे भरने वाला एक गार्ड था। वह अक्सर होटल पर आता था ओर रानी को अकेले पाकर खान की चीजों का लालच देकर उसके साथ गलत हरकते करता था। होटल चलाने वाला दंपत्ति चाहता है कि वह अब रानी का विवाह गार्ड के साथ ही कर देंगे उन्हें शायद एक बच्ची के मां बनने से लेकर कम उम्र में शादी के बीच कानून के मायने नहीं पता। यह मामला पुरूषों की मानसिकता को दर्शाने के लिये भी काफी है कि लड़कियों को किन नजरों से देखा जाता है। यौन शोषण के अधिकांश मामलों में अपना का ही हाथ होता है। कन्या उद्वार के नाम पर कई सरकारी व गैर सरकारी संगठन काम करते हैं, लेकिन क्या वाकई उद्वार हो पाता है? उसके असल माता पिता भी कोढ़ग्रस्त इंसानियत के पुतले हैं जिन्होंने अपनी बेटी को सड़क पर छोड़ दिया।
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