कुछ करने का वक्त आ गया है
अब केवल ब्लॉग लिखने से काम नहीं चलेगा .
हर वस्तु का एक कार्य होता है , उसका उपयोग होता है, पर उससे ज्यादा कुछ नहीं .
ब्लॉग सुचना प्रसार का कार्य करता है , पर उससे आगे कुछ नहीं .
उसी प्रकार आंदोलन , धरने , सत्याग्रह , कोर्ट में चल्लेंज करना , संसद में बम फोडना (भगत सिंग द्वारा ) इन सबका लोकतंत्र नाम के जुए / कारोबार में एक उपयोग है , पर इससे भ्रष्टाचार नहीं रुका करते. ये एक ऐसा माफिया है जिसमे सब पार्टी शामिल हैं ,
यह बात अन्ना , रामदेव , सुब्रमण्यम स्वामी को सोचनी होगी ,
अपना राजनितिक मंच बनाना पड़ेगा . अपने लोगों को भ्रष्ट सरकार का विकल्प देना होगा .
अब ये इन की समझ है , कि ये काम ये मिल कर करें या अलग अलग .
देश भर में जो भी भ्रष्टाचार को हटाना चाहते हैं , उनको एक्शन में आना पड़ेगा .
जो पैसे वाले खुल कर सरकार का विरोध नहीं कर सकते , उनको चुपके चुपके , दूसरी ताकतों को ताकत देनी होगी .
ये एक तरह से आजादी कि दूसरी जंग है ,
आज के नेता / आई ए एस / न्यायकारी भ्रष्ट नहीं हैं , लालची नहीं हैं , वो मानसिक बीमार हैं , जैसे एक कुत्ते को रेबीज हो जाती है .
यदि १००-५० करोर का घोटाला करते तो मानते कि वो लालच में कर रहे हैं . पर हज़ार-लाख करोर का घोटाला बताता हैं कि वे मानसिक संतुलन खो चुके हैं .
और देश को धार्मिक ज्ञान कि आवश्यकता भी है , कि जो भगवान उनका तीर्थों में जाना , देख रहा है , वही उनका देश के जनता के प्रति अपराध भी देख रहा है .
ये लोग न देश के कानून से डरते न भगवान से
यही काम स्वामी विवेकानंद ने अमरीका जा कर किया था .
उन्होंने देखा कि लोग उनके भाषण से प्रभावित तो हो रहे हैं , पर विचारों के स्थायित्व के लिए केन्द्रों कि स्थापना की जरुरत है , तब उन्होंने भारत से अपने गुरु भाइयों को बुलाया .
यही काम हरे कृष्ण के प्रभुपाद ने किया , उन्होंने वहाँ संस्था बनायी जो उनके निधन के ३५ साल बाद भी तारकी कर रहा है ,
असुरों से लड़ने के लिए देवी ताकतों को एकत्र होना पड़ेगा , आज नहीं तो कल, परसों , १, २, १० साल में .
जब लोग बिलकुल थक जायेंगे,
आपका
एक ब्लॉग लेखक .
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