गुवाहाटी : ‘इस सत्य को कोई नकार नहीं सकता कि जन प्रतिनिधि लोगों द्वारा चुने जाते है, लेकिन सरकार, जनप्रतिनिधि नहीं, राजनैतिक दल बनाते हैं जो विधानसभा में अपना बहुमत सबित कर सरकार बनाते हैं, और, यहीं पर आम आदमी का सरकार से सीधा संवाद लगभग कट जाता है।‘
उक्त विचार गुवाहाटी के फैंसी बाज़ार स्थित श्री मारवाड़ी हिंदी पुस्तकालय में नारायण खाकोलिया की अध्यक्षता में आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किए गए। गोष्ठी का विषय था ‘मतदाताओं की सरकार में कितनी और कैसी भागीदारी’।
गोष्ठी में मौजूद कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रबुद्धजनों ने एक सुर में कहा कि मतदाता की भागीदारी सरकार में लगभग समाप्त सी हो जाती है। उसकी भूमिका जैसे मात्र मतदान तक ही सीमित हो गई है। मतदान के पश्चात एक मतदाता की प्रत्याशियों को कोई जरूरत ही नहीं रहती। यहां तक कि सरकार के कार्यों की समीक्षा भी एक मतदाता उसके पूरे पांच साल के कार्यकाल में एक बार भी नहीं कर सकता।
विषय पर बोलते हुए दैनिक पत्र प्रातः खबर के ब्यूरो चीफ राजीव कुमार ने कहा कि आज का मतदाता पहले से अधिक जागरूक है और अपनी भूमिका भली-भांति निभा रहा है।
इसी विषय पर बोलते हुए दैनिक सेंटिनल के संपादक दिनकर कुमार ने कहा कि जैसी प्रजा वैसी सरकार हमें मिलती है। कुछ लोगों ने राजनीति को व्यवसाय बना लिया है। विचारधारा की राजनीति करने वालों की नितांत कमी दिखाई दे रही है।
देश के उत्तर - पूर्व इलाके में अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज कराने वाली समाचार वेबसाइट NESamachar.in के अनुसार गोष्ठी में वक्ताओं ने जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘राजनीति बदमाशों की आखिरी चारागाह है’l सुशासन की कल्पना करने वाले लोगों के लिए अब यह एक स्वप्न भर है कि अच्छे लोग चुन कर आएंगे। विचार गोष्ठी में महिलाओं ने भी उपस्थिति दर्ज करवाई।
11.4.16
‘मतदाताओं की सरकार में कितनी और कैसी हो भागीदारी… एक बड़ा सवाल?
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