सेफ एग्जिट लेने के बाद भी सहारा मीडिया के कर्मचारियों का पूरा भुगतान नहीं किया गया है। पहली बारी में सेफ एग्जिट लेने वालों का पीएफ और ग्रेच्युटी कंपनी नहीं दे रही है, दूसरी बारी में सेफ एग्जिट लेने वालों का पूरा का पूरा वेतन भी फंसा हुआ है और कंपनी द्वारा तय की गई समय-सीमा भी खत्म हो गई है, वहीं कॉमर्शियल प्रिंटिंग के कर्मचारियों को तो एक पैसा भी नहीं दिया गया है, जबकि दफ्तर में काम कर रहे तमाम कर्मचारी हालात के आगे मजबूर हैं।
नोएडा के उप-श्रमायुक्त (DLC) के कार्यालय में एचआर के अधिकारियों ने पैसे देने से हाथ खड़े कर दिये हैं। ऐसे में DLC ने रिकवरी चालान काटने की अगली तारीख 16 अप्रैल तय की है। कंपनी ने 14 अप्रैल तक पैसे नहीं दिये गये तो चालान कटना तय है। यानी सुब्रतो रॉय ने जिस कानूनी विवाद से बचने के लिए उपेंद्र राय को सहारा मीडिया का सर्वेसर्वा बनाया था, वही उपेंद्र राय अब सहारा मीडिया की कुर्की कराने पर आमादा है। यह सब आपसी खींचतान और अंदरुनी राजनीति के चलते हो रहा है और कहा जा रहा है कि पैसे नहीं है।
एक तरफ सेबी तमाम संपत्तियों को बेचेगी जिसकी लिस्ट में मीडिया नहीं है तो नोएडा कैंपस में बैठे अधिकारी सहारा मीडिया को कुछ इस तरह से कानूनी विवाद में घसीटवा कर कंपनी और चेयरमैन को चूना लगाना चाहते हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात अब यह हुई है कि पूरे मामले की नामजद जवाबदेही तय कर दी गई है। जिसकी प्रति निम्न प्रकार से संलग्न है। इसमें श्री उपेंद्र राय (सीईओ एवं एडिटर इन चीफ, सहारा मीडिया), श्री अमिताभ चक्रवर्ती व श्री रामवीर सिंह (एचआर प्रमुख) के नाम शामिल हैं। इसका मतलब यह हुआ कि सहारा मीडिया के कर्मचारियों के बकाया नहीं मिल रहा तो उसके पीछे ये लोग ही जिम्मेदार हैं। आगे एफआईआर होती है तो इन्हीं लोगों के नाम से होगी।
बेसहारा मीडिया नामक फेसबुक पेज से साभार.
11.4.16
बकाया देना उपेंद्र राय की जिम्मेदारी
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