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26.8.16

आओ मिलकर जीत लें मजीठिया वेतन बोर्ड की लड़ाई

साथियों माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट मीडिया से जुड़े साथियों को जीवन सुधारने का स्वर्णिम अवसर दिया है। मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने श्रमायुक्तों को लताड़ लगाई है, उससे यह तो जाहिर हो गया कि अब सरकारें मजीठिया को लेकर ज्यादा राजनीति नहीं कर पाएंगी। न ही अखबार मालिकों के लिए श्रमायुक्त जेल जाएंगे। हां यह जरूर याद रखना होगा कि मजीठिया घर बैठे नहीं मिलेगा। इसके लिए लड़ना होगा। मामला लाखों का है, जो अखबार मालिक समय से वेतन नहीं देना चाहते उनसे मजीठिया निकलना इतना आसान नहीं है। इसलिए जो साथी जिस तरह से मजीठिया की लड़ाई लड़ सकता है वह उसी तरह से लड़ाई लड़े पर यह समझ लो कि इस लड़ाई के जीतते के लिए हम लोगों एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा।


हां यह तय है कि मजीठिया वेज बोर्ड मिलते ही सभी अखबार कर्मियों के दिन बदल जाएंगे। लड़ाई जीतने की जो ख़ुशी होगी वह अखबार जगत में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी। जो साथी दलाई करने के लिए पत्रकारिता कर रहे हैं उनसे कहना चाहता हूं, पत्रकार वह शब्द है, जिसने न केवल देश की आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि देश की राजनीति की दिशा व दशा तय करने में इस शब्द का बहुत योगदान रहा है। आज देश जिस मुकाम पर खड़ा है, वह बताने की जरूरत नहीं है। ऐसे समय में पत्रकारों के बड़ी जिम्मेदारी बनती है। जब हम अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकते तो देश और समाज की लड़ाई क्या लड़ेंगे ?

तो समय आ गया है की अपना जमीर जगाकर और हिम्मत करके मजीठिया की लड़ाई लड़ने के लिए खड़ो हो जाओ। यह लड़ाई प्रिंट पत्रकारिता की शक्ल ही बदल कर रख देगी। कर्तव्यनिष्ठ, स्वाभिमान और ईमानदार पत्रकारों का रूतबा बढ़ेगा। दलाली पर अंकुश लगेगा। जब पत्रकार आत्मनिर्भर होंगे तो पत्रकारिता का इस्तेमाल निजी स्वार्थों के लिए नहीं बल्कि देश और समाज के लिए होगा। इसलिए भी यह लड़ाई जीतनी जरूरी है। तो आइये हम सब साथी मिलकर इस लड़ाई को पूरी मजबूती से लड़ें। यह तय है कि यदि हम लोगों ने इस लड़ाई को एकजुटता के साथ लड़ लिया तो यह लड़ाई देश को स्थिरता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जो साथी लड़ाई लड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं वे उन साथियों के होंशले से प्रेरणा लें जो मजीठिया मांगने पर अखबारों से निकाल दिए गए। बेरोजगार होकर भी ये लोग पूरे जज्बे के साथ लड़ाई को अंजाम देने में लगे हैं। इस लड़ाई को जीतने के लिए इन लोगों ने सब कुछ दांव पर लगा दिया है। तो साथियों आओ हर दबाव  को चीरते हुए हम सब साथी मिलकर इस लड़ाई को जीत कर अख़बारों पर अपनी विजय पताका फहराएं।

चरण सिंह राजपूत
पत्रकार व राष्ट्रीय अध्यक्ष फाइट फॉर राइट

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