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22.8.16

कविता- भारतीय भ्रष्टाचार की घड़ी

एक आदमी ने किया धरती से प्रस्थान,
और जा पहुंचा यमराज के कक्ष में,
घड़ियाँ ही घड़ियाँ देखकर रह गया हैरानl
हर देश की अलग घडी थी,
कोई छोटी कोई बड़ी थीl
कोई तेज थी कोई मंद,
कोई दौड़ रही थी कोई बंदl

आदमी ने चारों तरफ नज़र दौड़ाई,
पर भारत की घडी कहीं नज़र नही आईl
आदमी ने यमराज से पूछा-
क्या भारत वाले भ्रष्टाचार यहाँ भी ले आये?
सच-2 बताओ भारत की घडी यहाँ न रखने के कितने पैसे खाये?
यमराज ने कहा-
अभी तुम्हारी शंका मिटा देते हैं,
भारत की घडी कहाँ है बता देते हैंl
यहाँ की व्यवस्था ठीक चल रही है,
मेरे कमरे में पंखे के स्थान पर भारत की घड़ी चल रही हैl

------मोती सिंह अधाना-----
moti.gurjar89@gmail.com

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