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26.8.16

देश के हालात मुझे सोने नहीं देते

विगत रातों से मुझे नींद नहीं आ रही है। रह रह कर देश के हालात मेरे जेहन पर चोट करते हैं और कुछ धूमिल सी यादें बार बार खुली आंखों से नजर आ रही हैं। मौसम में ठण्डक थी पर माहौल में इसके विपरीत तपिश जो देश को झुलसाने को आतुर थी। अंग्रेजी माह का दिसम्बर कैलेण्डरों में नजर आ रहा था। चेहरों पर तनाव व भय के साथ कुछ अनबुझे से सवाल भी थे। समाचार पत्रों के पन्नों में सामाजिक ताना बाना को ध्वस्त करते समाचार एवं छायाचित्र नजर आ रहे थे जो मानवता को मुंह चिढ़ाते से प्रतीत हो रहे थे दिन प्रतिदिन मानवता शर्मसार होती जा रही थी। शहर में जन समस्या के लिए आन्दोलन होते रहे हैं।


उसमें दहाई की संख्या को पाना एक दुश्कर कार्य होता है। लेकिन इन दिनों लाखों की भीड़ सड़कों पर नजर आ रही थी। स्थानीय जनता यह नहीं समझ पा रही थ्ज्ञी कि अभी तक तो हम स्वयं ही अपने झगड़े सुलझाते थे क्या अब बाहरी हमारे झगड़े सुलझायेंगे। आज किताबों में पढ़ी, पूर्वजों से सुनी बातें बेमानी सी लग रही थीं। ‘सभी धर्मों का आधार प्रेम है’ आज सांप बिच्छू से कई गुना ज्यादा था जिससे यह सिद्ध हो रहा था इंसान के अंदर ही शैतान और भगवान दोनों पाये जाते हैं। तुच्छ कीटों सांप बिच्छू के जहर का इलाज हो सकता है और सीमित अवधि तक इसका असर रहता है। लेकिन आज कई पीढ़ी बीत जाने के बाद भी उन विषैले चरित्रों का विष अभी भी विद्यमान है। मां बाप के कदमों के नीचे जन्नत है। मां बाप की सेवा स्वर्ग का द्वार खोलती है। लेकिन वर्तमान में यह बातें केवल किताबों में ही नजर आती हैं।

मां बाप को जलालत की जिन्दगी देने वाली संताने जिनहोंने कभी मां बाप की सेवा नहीं की आज वो एक ऐसे अवतारी के नाम पर देश के तमाम मां बाप की लाठी तोड़ते चहूं ओर नजर आ रहे थे जिन्होंने अपनी मां का आदेश न होते हुए भी अपनी सारी सुख सुविधाओं का त्याग कर दिया था। घर के अंदर भी स्त्री जाति को पर्दों के भीतर रखने की सीख देने वालों के सामने भरे चौराहों पर मां बहन बेटियों का होता चीर हरण उनको दिखलाई नहीं दे रहा था। धार्मिक उन्मादी नारों के बीच में भूख से बिलखते नन्हें बच्चों की आवाज, बीमारी से कराहते लोगों का क्रन्दन मानो कहीं दब सा गया हो। लगा रहा था देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा ऐसी श्रेणी में आता है जो रोज कुआं खोदता है और पानी पीता है। इस दैनिक मजदूरी वर्ग के व्यक्तियों की स्थिति खुले आसमान के नीचे ओलों से बचाव करने जैसी थी।

मानव धर्म ग्रन्थों की बातों पर अमल नहीं कर रहा है। लेकिन ईश्वर अभी अपने पर कायम है। कि जब तक दुनिया का विनाश नहीं होगा जब तक पृथ्वी पर उंगली पर गिनने भर के लोग धर्म ‘सत्य अहिसां प्रेम’ पर कायम हैं। इतने अमानवीय कृत्यों के बीच भी तमाम उदाहरण ऐसे सामने आ रहे थे जिनसे सिद्ध हो रहा था कि अभी दुनिया मे इंसानियत और इंसान बाकी हैं। शाम का वक्त रात में तब्दील होने को था सभी एक वर्ग के उन्मादियों के आने की सूचना प्राप्त होने पर समान वर्ग के इंसानों द्वारा दूसरे वर्ग के लोगों को अपने यहां प्रश्रय देना और उनकी हिफाजत करना दोनों ही कार्य धर्म के नाम पर हो रहे थे। सही धर्म कौन सा था? एक जिसके नाम पर हिंसा, रक्तपात और सभी अमानवीय कृत्य हो रहे थ्ज्ञे या वो जिसने दुखियों का दुख में, संकट की घड़ी में साथ देने की प्रेरणा दी।

NAJMUN NAVI KHAN
najsalman@gmail.com

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