कांग्रेस में नई टीम तैयार हो रही है। राहुल गांधी की इस टीम के लिए खुद सोनिया गांधी ने कमान संभाली है। प्रियंका गांधी मददगार रहेगी। संगठन में बड़ों का सम्मान बढ़ेगा और युवाओं को नए अवसर मिलेंगे। काबिल और विश्वसनीय चेहरों की ताकत बढ़ेगी। नोटबंदी के बाद एक बार फिर अगले बजट सत्र में राहुल गांधी अपने नए तेवर में दिखेंगे।
-निरंजन परिहार-
भले ही समाजवादी पार्टी से समझौते के लिए आखरी दौर में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को कमान संभालनी पड़ी हो, लेकिन यह तय हो गया है कि कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथ ही रहेगी। वे तैयार हैं। उनकी टीम भी तैयार है। कुछ दिन पहले भले ही यह खबर थी कि उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष और प्रियंका गांधी को पार्टी में महासचिव बनाकर सोनिया गांधी विश्राम करेंगी। लेकिन सोनिया गांधी की राजनीतिक सूझबूझ के बाद इस फैसले को फिलहाल टाल दिया गया है। वजह यह थी कि प्रियंका गांधी के पार्टी में पद पर आने के बाद, पार्टी में हर हाल में दो अलग अलग पॉवर सेंटर बन ही जाएंगे। जिनके बीच संतुलन बनाना किसी के भी बस की बात नहीं होगी। फिर, दोनों में पलड़ा अंततः प्रियंका का ही भारी रहेगा। सो, तय यह हुआ कि राहुल अकेले ही पार्टी संभालेंगे। प्रियंका उन्हें मदद करेंगी। लखनऊ में गठबंधन की गांठ बांधने में राहुल गांधी के सहयोग के लिए आखिर प्रियंका इसीलिए आगे आईं और रात तीन बजे अखिलेश यादव को फोन करके गठबंधन की गांठ मजबूत की।
राहुल गांधी धीरे धीरे एक तरह से पार्टी की कमान पूरी तरह से संभाल ही चुके हैं। वे अपने तौर पर फैसले लेने लगे हैं और कामकाज के लिए दो स्तर पर टीम तैयार कर चुके हैं। पहली टीम सीनियर कांग्रेस नेताओं की है, जो अब तक सीधे सोनिया गांधी के रिपोर्ट करती थी, लेकिन पांच विधानसभाओं के चुनाव शुरू होने के पहले ही सभी को संदेश दे दिया गया था कि अब वे सोनिया गांधी को न बताकर अगर सीधे राहुल गांधी से अपनी बात कहेंगे, तो भी चलेगा। राजनीति में इस तरह के संदेशों के अर्थ बहुत साफ होते हैं। सो, बड़े नेताओं का महत्व बरकरार रहेगा, यह तय हो गया है। लेकिन नई पीढ़ी को महत्व भी मजबूती से दिया जाएगा, जिस पर कामकाज शुरू हो चुका है। राहुल गांधी के सलाहकारों की केंद्रीय टीम में पूर्व विदेश राज्यमंत्री आनंद शर्मा, सोनिय़ा गांधी के सलाहकार अहमद पटेल और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद केंद्र में रहेंगे। इस बहाने हिमाचल प्रदेश, गुजरात और जम्मू कश्मीर का प्रतिनिधित्व भी पूरा होगा और वहां की स्थानीय राजनीति पर सीधी पकड़ भी मजबूत होगी। पंजाब से अमरिंदर सिंह, गुजरात से भरतसिंह सोलंकी, राजस्थान से अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, यूपी से राज बब्बर और डॉ. संजय सिंह अमेठी की भूमिका राहुल गांधी के नेतृत्व में और मजबूत होगी। कांग्रेस में सारे प्रदेशों के युवा नेताओं को जैसे ही संदेश मिला कि इन वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करके अपने स्तर पर फैसले करने का रवैया छोड़ दें, तो युवा टीम एक झटके में समर्पण की मुद्रा में आ गई है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चव्हाण की भूमिका पार्टी में कुछ और मजबूत होगी।
युवा नेताओं में महाराष्ट्र से संजय निरूपम और राजीव सातव फिलहाल राहुल गांधी के सबसे भरोसेमंद हैं। संजय निरुपम फिलहाल मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष और राजीव सातव लोकसभा में सांसद हैं। मुंबई में लगभग समाप्त हो चुकी कांग्रेस को फिर से जिंदा करने में निरुपम ने जिस मेहनत से काम किया है, उससे राहुल गांधी काफी प्रसन्न हैं। इसी कारण मुंबई महानगर पालिका चुनावों में निरुपम को फ्री हेंड दिया गया। दो बार मुख्यमंत्री रहे वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण को भी संगठन में और मजबूती मिलेगी। प्रियंका गांधी के विश्वासपात्र सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणिती शिंदे महाराष्ट्र में दूसरी बार विधायक है, उन्हें भी राहुल गांधी की टीम में जगह मिल सकती है। उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और डॉ. संजय सिंह अमेठी का कद बढ़ना निश्चत है। राहुल गांधी मानते हैं कि पूरी तरह से समाप्त हो चुके कांग्रेस संगठन को यूपी में राज बब्बर और संजय सिंह, दोनों नेताओं ने फिर से खड़ा करने में जबरदस्त भूमिका निभाई है। राहुल गांधी इनसे बहुत खुश दिख रहे है। इनके अलावा यूपी में नरेश अग्रवाल और पीएल पुनिया पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका संभालते रहेंगे। जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह को भी राहुल गांधी की टीम के होने के काण कांग्रेस संगठन में मजबूत भूमिका मिलेगी। दिल्ली से अजय माकन भी राहुल गांंधी की टीम के साथ रहेंगे।
राजस्थान में राहुल गांधी का सचिन पायलट पर भरोसा बढ़ गया है। माना जा रहा है कि बीते कुछ समय में पायलट ने प्रदेश में कांग्रेस की हवा बना दी है। बाड़मेर के पूर्व सांसद हरीश चौधरी और राजस्थान युवक कांग्रेस के सफलतम अध्यक्ष रहे नीरज डांगी भी राहुल गांधी की टीम में नई भूमिका निभाएंगे। चौधरी पंजाब चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। उधर डांगी के भी संगठन के लिए किए जा रहे काम एवं पंजाब चुनाव में उनकी भूमिका को लेकर राहुल गांधी तक अच्छी रिपोर्ट पहुंची है। राजस्थान के ही पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी दिल्ली में लगातार बड़ी भूमिका में रहेंगे। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ताकत और बढ़ेगी। राहुल गांधी ने गहलोत को पंजाब और यूपी चुनाव की स्क्रीनिंग कमेटी में लेकर साफ संदेश दे दिया है कि गहलोत के अनुभवों के लाभ के सहारे पार्टी में आगे का रास्ता तय किया जाएगा। इसी तरह, मध्य प्रदेश से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का पार्टी में सम्मान बना रहेगा। दोनों का प्रदेश में फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। अब तक राहुल गांधी की टीम के सबसे सुदर्शन चेहरे युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक-दो फैसले उलटे पड़ जाने के कारण उन्हें सीधे नई गांधी की टीम में तत्काल अग्रणी भूमिका मिलने के संकेत कम हैं। लेकिन सिंधिया पार्टी में महत्वपूर्ण काम करते रहेंगे। नई टीम में राजीव शुक्ला के लिए जगह बनी हुई है। वे आइपीएल अध्यक्ष होने के नाते क्रिकेट में व्यस्त रहेंगे, लेकिन वहां से वक्त निलाककर बाद राहुल की टीम में काम करते रहेंगे।
कांग्रेस उपाध्यक्ष पद से आगे, राहुल गांधी कब अध्यक्ष बनेंगे, और कब अपनी पूरी नई अधिकारिक टीम खड़ी करेंगे, यह अभी तय नहीं था। लेकिन अब सब सामने आ गया है। उनकी बनी बनाई टीम काम शुरू कर चुकी है, लेकिन उसमें कुछ नए तो कुछ पुराने लोग आगे भी जगह पाते रहेंगे। राहुल गांधी की इस टीम में सोनिया गांधी के लिए अब तक काम करती रही कोर टीम के वरिष्ठ नेता भी रहेंगे। दस जनपथ की दीवारों के राज जाननेवालों की बात पर भरोसा करें, तो सोनिया गांधी के काफी करीबी कुछ नेताओं में से अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत, मोतीलाल वोरा और आनंद शर्मा आदि कुछ वरिष्ठ नेताओं पर राहुल का भरोसा बढ़ा है। वैसे, राहुल गांधी की टीम को मजबूत करने के लिए राजनीति, कॉर्पोरेट, मीडिया, संस्कृति, विदेश, आदि के गहन जानकार लोगों की तलाश अभी भी जारी है। कई पूर्व सांसदों, प्रदेशों के पूर्व मंत्रियों आदि में से जिनकी छवि बहुत अच्छी है, जो संगठन को मजबूत करने में माहिर रहे हैं, विश्वसनीय भी है, और व्यावहारिक भी हैं, उनकी सोनिया गांधी के दफ्तर से सीधा सलेक्शन किया जा रहा है। इसीलिए माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में राहुल गांधी की टीम और मजबूत होगी। सोनिया गांधी की शक्ति और प्रियंका गांधी के सामर्थ्य के बूते पर राहुल गांधी की ताकत को बढ़ाने का इंतजाम पूरा हो गया है। यूपी, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों बिल्कुल नए स्वरूप में होंगे, यह साफ लग रहा है। भरोसा न हो तो संसद का बजट सत्र जरूर देखिएगा, राहुल गांधी के ताकतवर तेवर देखकर आपकी आंखें फटी न रह जाएं, तो कहना।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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