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22.1.17

पंचकूला के कुछ पत्रकारों ने प्रेस क्लब की उड़ाई धज्जियां

-संविधान को दरकिनार करके एक महिला के इशारे पर बना दिया पदाधिकारी 
-महिला किस अखबार से है, पता नहीं, लेकिन कुछ दिन बाद आकर मचाती है हाहाकार

पंचकूला । पंचकूला प्रेस क्लब अपने गठन के 15 साल बाद अपनी हालत पर रोता है। इस क्लब को कुछ पत्रकारों ने अपनी जागीर बना लिया है और एक महिला जोकि जेल की हवा खा चुकी है, उसके इशारे पर दो-चार पत्रकार मिलकर 15 से 20 ऐसे पत्रकारों को इक्ट्ठा करते हैं, जोकि पंचकूला में सक्रिया नहीं रहते और पार्टी के नाम पर एकत्रित होकर किसी को भी सभी का प्रधान या महासचिव बनाकर अपनी चांदी कूटते हैं। इस महिला ने पिछले पांच महीने में दो बार पंचकूला के पत्रकारों को बेवकूफ बनाकर अपनी पसंद के हिसाब से प्रधान एवं महासचिव बदल दिये। 80 सदस्यों वाली प्रेस क्लब में मात्र 15 से 20 लोगों को इस महिला ने पार्टी के नाम पर एकत्रित किया। उन्हें पहले खाना खिलाया और शराब पिलाई।
उसके बाद दो पत्रकारों को अमित शर्मा एवं जगदीप शर्मा को क्रमश: प्रधान एवं महासचिव के नाम प्रस्तावित कर दिये। कुछ तो पार्टी में मस्त थे और हां-हां करके शोर मचा दिया कि बन गया प्रधान। पर बड़ी ही शर्म की बात है कि हरियााणा की मिनी राजधानी माने जाने वाले पंचकूला के पत्रकारों को आत्मा इतनी मर चुकी है कि वह एकजुट होकर ऐसी ताकतों का विरोध नहीं करते, जोकि पंचकूला के पत्रकारों को अपना खिलौना मानते हैं। मात्र 23 साल के लडक़े एक धुरंधर पत्रकारों का प्रधान इस महिला बना दिया, जिनकी कलम से शहर हिल जाता है। प्रेस क्लब के पूर्व प्रधान रहे रोहित रोहिला ने व्हाट्सऐप जमकर इस बात का विरोध किया था। उन्होंने कोर्ट तक इस मामले को ले जाने की बात कही और जो भी लोग पार्टी में मौजूद थे, उनको भी कोर्ट की राह दिखाने की बात कही।

पंचकूला प्रेस क्लब के संविधान के मुताबिक अगले नये चुनावों से पहले पुरानी कार्यकारणी को पिछली टर्म में किये गये कामों का ब्यौरा देना होता है। उसके बाद नये चुनावों के लिए एक कमेटी का गठन होता है, जोकि नये सदस्यों को क्लब में जोड़ती है, उसके बाद कमेटी चुनाव की तिथि तय करती है। जिसके बाद नामांकन एवं मतदान होता है। यदि एक से अधिक नामांकन नहीं है, तो सर्वसम्मति से प्रधान एवं महासचिव चुने जाते हैं। परंतु दो बार इस महिला ने पार्टी का आयोजन किया और संविधान की मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाते हुए लगभग पांच माह पूर्व सुरेंद्र भाटिया को प्रधान एवं डीएन चौधरी को महासचिव का नारा लगाकर लोगों से रजिस्टर में घर-घर जाकर साइन करवा लिये। जब यह दोनों महिला की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, तो अमित शर्मा एवं जगदीप शर्मा को अपना निशाना बना लिया।

suresh rana
sureshjaswantrana@gmail.com

2 comments:

Unknown said...

अगर आपको लगता है यह चुनाव गलत हुए हैं तो इसका खुलकर विरोध कीजिए ऐसे किसी ब्लॉक पर लिखना मेरे ख्याल से तो जायज नहीं है

Unknown said...

अगर आपको लगता है यह चुनाव गलत हुए हैं तो इसका खुलकर विरोध कीजिए ऐसे किसी ब्लॉक पर लिखना मेरे ख्याल से तो जायज नहीं है