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20.4.20

इसे कहते हैं"कर्म"योगी होना...!

इसे कहते हैं"कर्म"योगी होना...
ये कोई योगी ही कर सकता है।वैसे तो उन्हें कल रात ही पता चल गया था कि उनके इस भौतिक शरीर को जन्म देने वाले पिता अंतिम सांसें गिन रहे हैं। सूचना कभी भी आ सकती है।कोई दूसरा मुख्यमंत्री या सामान्य व्यक्ति भी होता तो इतनी खबर पर ही उपलब्ध साधन के आधार पर पिता के पास पहुंचने की कोशिश करता मगर योगीजी ने ऐसा नहीं किया बल्कि एक मुख्यमंत्री के रूप में कोरोना रूपी वैश्विक आपदा के समय अपने कर्तव्यों को अंजाम देने में जुटे रहे।और आशंका के बीच आज सुबह ऐसी ही एक मीटिंग के दौरान जब उन्हें अपने पिताजी के गोलोकवासी होने की सूचना मिली तो वे क्षण भर के लिए विचलित तो हुए और ऐसा होना प्राकृतिक रूप से स्वाभाविक भी है।फिर उन्होंने एक योगी की तरह अपनी भावनाओं को नियंत्रित किया।एक साधक की तरह अपनी भावनाओं और कर्तव्यों के बीच संतुलन साधा।




और जुट गए फिर अपने कर्तव्यपथ पर। एक मुख्यमंत्री के रूप में अपने राजधर्म को उन्होंने अपने पुत्रधर्म पर वरीयता देते हुए जो संदेश इस पत्र में अपने परिजनों को भेजा है, उसे पढ़िये आप लोग......


 "इसे कहते हैं "कर्म" योगी होना" मुझे गर्व है कि @Myyogiaditynath हमारे मुख्यमंत्री हैं।पितृशोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके साथ हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और दुःख की इस घड़ी में परिजनों को संबल प्रदान करे🙏

1 comment:

Unknown said...

संत के पितृ शोक पर भावपूर्ण सारगर्भित लेख है आपका डाक्टर साहब सह्रदय साधूवाद