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9.4.20

मनरेगा मजदूरों का पैसा कब तक हजम करते रहेंगे ग्राम प्रधान



 सौरभ सिंह सोमवंशी

 शनिवार को जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश कुमार अपने कार्यालय में बैठे हुए थे उनके पास मोबाइल के व्हाट्सएप पर एक मैसेज आता है। जिसमें पचोखर गांव का एक पीड़ित सुभाष निषाद यह कह रहा है कि हमारे गांव के प्रधान पति श्री पहाड़ू यादव ने हमारे खाते से 4900 रुपए निकाल लिए और हमें सिर्फ 400रूपये दिया। इसमें बैंक मित्र ने भी प्रधान पति की मदद की।



जिलाधिकारी दिनेश कुमार ने थाना लाइन बाजार एस ओ को फोन कर प्रधान पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और जेल भेजने का आदेश दिया ।यह स्थिति केवल उत्तर प्रदेश के एक जिले की नहीं है यह स्थिति पूरे प्रदेश की है जहां पर ग्राम प्रधानों के द्वारा मनरेगा मजदूरों के पास बुक, एटीएम यहां तक कि हस्ताक्षर किए हुए ब्लैंक चेक भी रख लिए जाते हैं और इसी की शर्त पर उनको काम दिया जाता है यहां तक की काम करने वाले मजदूरों के खून पसीने की कमाई जो सरकार के द्वारा निर्धारित कर दी गई है उसने भी ग्राम प्रधान इस तरह से कमीशन लेता है जैसे वो अपने पास से काम करवा रहा है।

 इसके अलावा सरकारें जितना आसानी से पैसा भेज कर यह सोचती हैं कि मजदूर के पास पैसा पहुंच गया यह बहुत कठिन है और अव्यवहारिक भी है क्योंकि यह पैसा खून पसीने को लगाकर मजदूरी करने वाला मजदूर अपनी इच्छा के अनुसार नहीं बल्कि प्रधान की इच्छा के अनुसार ही निकलता है।ऐसा बहुत सारे जिलों में देखा गया है और जौनपुर इसकी बानगी मात्र है।इसी तरह से आजमगढ़ जनपद में भी देखने को मिला जहां पर जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने की प्रधानों के ऊपर मुकदमा दर्ज कराया है।

जब इस सिलसिले में मजदूरों से बात की जाती है तो मजदूरों का जवाब होता है कि यदि हम सभी ग्राम प्रधान के इस कार्य का विरोध करेंगे तो ग्राम प्रधान  हमारा नाम काट देगा और हम काम के लिए तरस जाएंगे अतः हमें ग्राम प्रधान की मनमानियों को सहन करना पड़ता है इसके अलावा बहुत सारे कार्य ऐसे होते हैं जो ग्राम प्रधान के द्वारा होते हैं इसके अलावा गरीब मजदूर अपने ग्राम प्रधान को कतई नाराज नहीं करना चाहता है क्योंकि उसको उस ग्राम प्रधान से कई सारे लाभ लेने होते हैं।

ग्राम प्रधानों का भ्रष्टाचार सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है बहुत सारे लोग जो आर्थिक रूप से मजबूत है ग्राम से बाहर प्रदेश में रहते हैं उनके नाम का जॉब कार्ड बनाकर उनको मजदूर दिखाकर उनके खाते में आए हुए पैसे में से एक मोटी राशि कमीशन के रूप में लेकर भी ग्राम प्रधान सरकारी धन को चूना लगा रहे हैं । पूरे देश में कोरोनावायरस जैसी महामारी के चलते उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश के 27.5 लाख मनरेगा मजदूरों के खाते में  ₹1000 के हिसाब से कुल 611 करोड रुपए सिर्फ इसलिए भेज दिए ताकि इन मजदूरों को लाक डाउन के दौरान कोई दिक्कत ना हो लेकिन जौनपुर में हुए घटनाक्रम इस बात की तस्दीक करते हैं कि सरकार ने हिंदुस्तान के आम गरीब दबे कुचले और वंचित तबके को ध्यान में रखकर जिस तरह की योजनाओं को बनाया है उसका पालन किस तरह से हो रहा है और जमीन पर उसकी सच्ची हकीकत क्या है?



सौरभ सिंह सोमवंशी
 पत्रकार
प्रयागराज

9696110069

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