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30.4.20

निगेटिव न्यूज ट्रैक के तहखाने में कैद...


प्रिंस कुमार


पत्रकारिता से जुड़े कुछ साहसी और जाबाज पत्रकारों के कारण ही देश का चौथा स्तंभ वर्तमान समय में चारो खाने चित होने से बचा हुआ है। लेकिन इन पत्रकारों के सामने निगेटिव और पॉजेटिव न्यूज मोड ने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। अखबार से लेकर बड़े-बड़े न्यूज चैनल तक पॉजेटिव खबर को तरजीह देते हैं।

पॉजेटिव न्यूज मतबल कि सरकार और अखबार या न्यूज चैनल के दलाल मालिकों के गाइडलाइन पर खबर होनी चाहिए। कुछ साहसी और निर्भिक पत्रकार सरकार और समाज के दलाल कोरोना वायरस की तरह फैलने वाले भ्रष्ट व्यवस्था की कमर तोड़ने की कोशिश करते हैं।

लेकिन इनकी कोशिश बारबार नाकाम हो जाती है। इन्हें लगातार, बारबार यही भरोसा रहता है कि इनकी संस्थान आज ना कल भष्ट व्यवस्था को दिखाएंगे या छापेंगे। लेकिन बारबार इन्हें निरासा ही हाथ लगती है। मसलन इनकी सरकार और भष्ट व्यवस्था की पोलखोलती खबरें ट्रैक के तय खाने में में ही दम तोड़ देती है। निगेटिव न्यूज, आश्य कि सरकार और सत्ता के विरोध में ना तो लिखना है और ना ही बोलना है।

अगर आप इनके विरूद्ध लिखना चाहते हैं, तो आपके पास वर्तमान समय में सोशल मीडिया के प्लेफार्म के अलावे और कोई विकल्प नहीं है। अस्पताल, पुलिस, प्रशासन, रोजगार, व्यवसाय, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा आदि सामाजिक मुद्दे पर लिखने से पहले आप उसमें पॉजेटिव प्वाइंट खोज लें, नहीं तो आपकी खबर, रिसर्ज और प्रताल धरी की धरी रह जाएगी। अतः साहसी और निर्भिक पत्रकार के लिए एक ही विकल्प है या तो आप संस्थान में पीआरओ की तरह काम करें या नौकरी छोड़ सोशल मीडिया का रूख इख्तियार करें...
   
prince singh
princerockz300@gmail.com

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