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6.12.07

चन्द लफ़्ज़ उसकी तारीफ़ में

उसकी महिमा अपरम्पार है। वह रोज़ आप की पीठ पर बोझा लाद्ता है और साबित करता है कि तुम गधे हो। उसके खुर की चोट आप दिमाग के दरवाजे पर हरदम महसूस करते हैं, वह आपकी किस्मत बना सकता है। वह सर्वगुण सम्पन्न है। वह इसी धरती पर पैदा हुआ पर वो दुनिया से जुदा है उसकी हर अदा बांकी है। जब वो हिनाहिनाता है तो फिजा में बहार आ जाती है, आसमान से फूल झरने लगते हैं। वह इसकी तारीफ में अपने शायर दोस्त विवेक भटनागर का यह शेर अर्ज़ कर रहा हूँ-

आजकल सब उस गधे को बाप कहने लग गए,
वो गधे को बाप कहते-कहते इस काबिल हुआ ।

इससे ज्यादा उसकी तरीफ़ मे और क्या कह सकता हूँ ।

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