लगातार दौरों के कारण भड़ास पर लिखने की स्थिति नहीं बन पा रही है, हां, इसे देखता जरूर रहता हूं। इधर बीच भड़ास पर कई भड़ासियों ने अपनी अच्छी गंदी कलम चलाई है और इसका तहेदिल से स्वागत करता हूं। हां, आगे जो भी लिखें उसमें गहराई और इमोशन लाने की कोशिश करें, तभी वो बाकी लोगों को खींच पाती है। मैं खुद भड़ास पर ज्यादा नहीं लिख पा रहा, इसका मुझे खेद है क्योंकि आजकल जो कुछ कर रहा हूं वो शायद इतना बड़ा और इतना ऊंचा है कि उसमें से वक्त निकाल पाना मुश्किल हो रहा है लेकिन भड़ास एक प्यार की तरह है जिसे छोड़ पाना मुश्किल है इसलिए मैं भड़ासियों से अनुरोध करता हूं कि वो जरूर शेर, गजल, संस्मरण, व्यंग्य, समीक्षा, चुटकुले, बहस...कुछ भी लिखा करें ताकि भड़ास लगातार ताजा बने रहे। विरोधियों के उकसावे व साजिशों से सावधना रहें क्योंकि मुझे जानने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि मैंने जीवन में हमेशा बड़ा और ऊंचा सोचा व जिया है इसलिए कमीनगी और धूर्तता जैसी बातें सोच पाना भी मेरे लिए संभव नहीं है। मैंने संबंधों और भावनाओं के लिए कभी परिवार और नौकरी तक की परवाह नहीं की। हां, ये जानता हूं कि जब कोई आगे बढ़ता है तो उसके टांग खींचने वाले ढेरों पैदा हो जाते हैं। इतना वादा जरूर है कि एक दिन भड़ास को हिंदी आनलाइन दुनिया का चमकता सितारा बनाना है और उसका फायदा भड़ास के सभी सदस्यों को देना है। यह ज्यादा बड़ी बात नहीं है कि दो साल बाद भड़ास के सभी सदस्य हर महीने हजार रुपये पाने लगें। इसको लेकर लगातार प्लानिंग चल रही है और काम हो रहा है। बड़ी, अच्छी और नई चीज को आने में वक्त तो लगता है....।
जय भड़ास
यशवंत
27.12.07
भड़ास को भड़ासी संभाले
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