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15.12.07

ड्रामा था रूबिया सईद का अपहरण

एक अखबार में छपी खबर के मुताबिक कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत करने वाले बहुचर्चित रुबिया सईद अपहरण कांड, जो तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी थी, असल में एक ड्रामा था जो राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए रचा गया था।
अलगाववादी नेता हिलाल वार की ‘ग्रेट डिस्क्लोजरः सीक्रेट अनमास्क्ड’ पुस्तक में सनसनीखेज दावा
रियासत में खूरेंजी आतंकी हिंसा को बढ़ावा कब मिला? आईसी 814 विमान को हाईजैक कर कंधार ले जाकर आतंकी कमांडरों को रिहा कराने की साजिश को किसने प्रोत्साहित किया?
इन सवालों का जब भी जवाब तलाशा जाता है तो पहला जवाब अकसर यही आता है कि अगर 13 दिसंबर, 1989 को तत्कालीन केन्द्र सरकार ने आतंकियों के आगे झुकने से इंकार करते हुए रुबिया सईद को रिहा ने कराया होता तो शायद कश्मीर में आतंकी हिंसा 1990 के दशक के प्रारंभ में ही समाप्त हो जाती। अलबत्ता, अब एक अलगाववादी नेता ने अपनी किताब में रुबिया सईद अपहरण को लेकर एक नया खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि यह सिर्फ एक ड्रामा था जो तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जेकेएलएफ के कमांडर यासीन मलिक के साथ मिलकर रचा था। पीपुल्स पोलिटिकल पार्टी के चैयरमैन हिलाल वार द्वारा लिखी गई किताब ‘द ग्रेट डिस्क्लोजर, सीक्रेट अनमास्क्ड’ में इस अपहरण को ‘ओछी राजनीति की महत्वाकांक्षा की पराकाष्ठा’ बताया गया है। किताब के पृष्ठ नंबर 289 पर हिलाल वार ने साफ शब्दों में है कि मुफ्ती मोहम्मद सईद को लगता था कि जम्मू-कश्मीर की सियासत से उनका पत्ता साफ करने के लिए शेख अब्दुल्ला का खानदान जिम्मेवार है इसलिए जब वह केन्द्र में गृहमंत्री बने तो उन्होंने उसी समय फारुक अबदुल्ला की सरकार गिराने की साजिश रचनी शुरु कर दी थी। पहले तो उन्होंने जगमोहन को राज्यपाल बनवाने का प्रयास किया लेकिन जब फारुक अब्दुल्ला ने इस पर इस्तीफे की धमकी दी तो जगमोहन को राज्यपाल बनाने का मुफ्ती का दांव खाली चला गया। हिलाल वार ने इसी पृष्ठ पर आगे लिखा है कि इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद ने एक और योजना बनाई। इसके तहत जेकेएलएफ के संस्थापक सदस्यों में से एक और 1965 में कश्मीर के प्रमुख अलगाववादियों में से एक मियां सरवार को जेकेएलएफ के तत्कालीन कमांडर मोहम्मद यासीन मलिक से मिलने और उसे रुबिया सईद के अपहरण का ड्रामा करने के लिए कहा गया। इसके बाद दिसंबर 1989 के पहले सप्ताह में किसी रात राज्य पुलिस के तत्कालीन डीजी गुलाम जिलानी पंडित के मकान पर एक गुप्त बैठक हुई। इसमें मियां सरवर, यासीन मलिक और डॉक्टर गुरु शामिल हुए। इसी बैठक में अपहरण के ड्रामे की रुपरेखा तैयार करते हुए फैसला किया गया कि मुफ्ती मोहम्मद सईद की डॉक्टर बेटी रुबिया सईद ललदेद अस्पताल से एक सार्वजनिक मिनी बस में बैठकर घर के लिए रवाना होगी। उसके साथ कोई सुरक्षाकर्मी नहीं होगा जो एक गृहमंत्री की बेटी के साथ होना चाहिए। इसके बाद योजना के मुताबिक आठ दिसंबर 1989 को रुबिया सईद अस्पताल के बाहर से मिनी बस में सवार हुई। बस में जेकेएलएफ के लड़के भी बैठ गए लेकिन इन्हें इस ड्रामे की असलियत नहीं मालूम थी। आबादी वाले इलाके से आगे निकलने पर नौगाम बाईपास के नजदीक ही एक जगह सड़क पर डॉ गुरु अपनी मारुति कार में बैठा था। जब मिनी बस इस कार के पास पहुंची तो रुबिया सईद ने कुछ डरने का ड्रामा करते हुए जेकेएलएफ के लड़कों के साथ नीचे उतरकर डॉ गुरु की कार में सवार हो गई। रुबिया को भी इस ड्रामे का पता था। हिलाल वार ने आगे लिखा है कि इसके बाद रुबिया सईद को एक खास जगह सुरक्षित ले जाया गया। इस जगह के बारे में यासीन मलिक, मियां सरवर, डॉ गुरु, मुफ्ती मोहम्मद सईद और तत्कालीन डीजी को भी पता था। इसके बाद पांच आतंकी कमांडरों को छोड़ने की मांग की गई और उसके बाद जो हुआ वह सबको मालूम है। ‘द ग्रेट डिस्क्लोजर’ में दावा किया गया है कि इस प्रकरण के बाद जगमोहन राज्यपाल बने और फारुक अब्दुल्ला ने त्यागपत्र दे दिया, जबकि मलिक को इस ड्रामे को अंजाम देने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री ने जेकेएलएफ के अध्यक्ष अमानुल्ला खान के स्थान पर बतौर एक प्रमुख अलगाववादी नेता व जेकेएलएफ कमांडर के रुप में प्रचारित कराया।
आतंकी जो छोड़े गए – शेख हमीद, नूर मोहम्मद कलवाल, अल्ताफ अहमद लांचर, जावेद जरगर और शेर खान। इनमें शेर खान गुलाम कश्मीर का रहने वाला था और रिहा होने के बाद एक मुठभेड़ में मारा गया। शेख हमीद भी बाद में मारा गया। अल्ताफ लांचर इस समय बेंगलूरु मे किसी रेस्तरां में काम कर रही है जबकि जावेद जरगर और नूर मोहम्मद कलवाल अभी भी यासीन मलिक के साथ हैं।
आज क्या कहते हैं यासीन मलिक – इस बात को हुए जमाना बीत गया है। आप इस इश्यू पर क्यों बात करते हैं। इसे कुरेदने का कोई फायदा नहीं है।
हिलाल वार की चुनौती – मैंने जो कुछ किताब में लिखा है, वह बिलकुल सही है। अगर मुफ्ती मोहम्मद सईद, तत्कालीन डीजीपी या यासीन मलिक कहते हैं कि मैंने झूठ लिखा है तो वे मुझ पर मुकद्दमा करें। मैं असलियत लाया हूं।

साभार - नारद /नटराज (उपरोक्त पूरी ख़बर लोकमंच मे प्रकाशित है)

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