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2.12.07

ये नई जनरेशन है

अब तो नई जनरेशन का जमाना है, इधर अखबारों में नए नए लडकों की चल रही है, दफ़तर में घुसते ही पहली आवाज सुनाई पडती हैं, सर आज कुछ नहीं है, स्‍टोंरी के लिए नया आयडिया बता दे दीजिए, अब हम क्‍या बताएं, नए जमाने में इंटरनेट की तूती बोल रही है, खबर नहीं है, इंटरनेट खोल कर बैठ जाओं, कुछ न कुछ मिल ही जाएगा, अब सर लोगों के पास कुछ नहीं रखा, ये पुराने चावल हो गए हैं, अब ये सिर्फ यही कर सकते हैं कि खबर मिली तो उसमें थोडा नमक मिर्च लगाकर उसे चटपटा बना सकते हैं, लेकिन कह दिया जाए कि थोडा खबर बता दीजिए तो ये बताएंगे कि देखो शहर कितना गंदा है, साक्षरता में क्‍या घोटाला हुआ और समाज कल्‍याण से कितनों को पेंशन मिल रही है, सीएम की किस पर गाज गिरने वाली है, अब ये यह नहीं समझते कि नए जमाने में इन खबरों का कोई महत्‍व नहीं है, पहले इन्‍ही खबरों के लिए ये अधिकारी के पीछे महीनों दौडते भागते थे और जब खबर नहीं मिलती थी तो खुन्‍नस में नेगेटिव खबरें लिखी जाती थी बच्‍चु पॉजिटिव नहीं बताओगे तो यही झेलो, लेकि‍न अब तो नेट खोलों, देखों कहां क्‍या चल रहा है, कहीं युवा वर्ग मरने से पहले का स्‍टेटमेंट लिख रहा है तो कहीं मरने की डेट तलाशी जा रही है, कहीं मौज मजे के लिए गेम चल रहे हैं तो कहीं अंतिम इच्‍छा पूछी जा रही है, नेट पर जाओं तो देश दुनिया की खबरें भी मिलती हैं, भई यही तो है नई जनरेशन, नेट पर यह भी है कि देश में कितने एड़स पीडित हैं तो कितनों की आने की संभावना है, रोक के लिए क्‍या किया जाना चाहिए और सरकारें कर क्‍या रही हैं, बच्‍चा खो गया, नेट पर मुकदमा लिखवाओ, अपराधी की तलाश है नेट पर जाओं, बच्‍चा पैदा नहीं हो रहा है नेट पर डाक्‍टर तलाश करों, क्‍या नहीं है नेट, तो बच्‍चा लोगों अब सर का पीछा छोडों और नेट की शरण में जाओं, अब कैरियर का मूल मंत्र बनाओं नेटम शरणम गच्‍छामि
जय भडास
सुनील कमार सिंह, गुडलक
आईनेक्‍स्‍ट, कानपुर

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