एक अधिकारी अपने कार्यालय के एक आयोजन में - "देखिये अगर देश को आगे बढ़ाना है तो हम लोगों को अपने निहित स्वार्थों को छोड़ना पड़ेगा, देश हित में अपने हितों का त्याग करना पड़ेगा। और यह हम सब लोगों का पुनीत कर्तव्य है कि देश हित में अपने छुद्र हितों को आड़े न आने दें, अपने कामों को पूरी ईमानदारी से करें और पूरी तरह से ईमानदार बनें, भ्रष्टाचार हमारे देश को कैंसर की तरह अन्दर से चाट रहा है।" बोलते बोलते उनका गला भर गया, सामने रखा पानी का गिलास उन्होंने उठाकर मुंह से लगा लिया।वही महोदय अपने अधीनस्थ से - "अरे भई देखो मेरे घर में जो इनवर्टर लगा है उसकी बैटरी ख़राब हो गई है, नई लगवा देना। और ऐसा करना कि दो किलो मिठाई ले आना बच्चों के लिए। बाकी अभी जो परचेज करनी है, उसमें से इसे एडजस्ट कर बाकी का पेमेंट कर देना."
14.8.08
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