दिल्ली और ब्लू लाइन एक दुसरे का पर्याय है, बिना ब्लू लाइन के दिल्ली ऐसी लगेगी जैसे सधवा के मांग से सिंदूर हटा दिया गया हो, सच कहूं तो लोगों का जीना मुहाल हो जाए और दिल्ली सरकार की डी टी सी यानी की या तो बस ही ना आए ओए यदि गलती से आ भी जाए तो किस्मत आपकी ड्राइवरआपको चढ़ाएगा की नही। खैर ये तो बातें बसों की मैं बता रहा था की आप दिल्ली में हों और ब्लू लाइन की सेवा ले रहें हैं गरमी हो या बरसात आपको जल्दी हो या न हो मगर इन तस्वीर को देखिये, दिल्ली पोलिस के इन प्रहरियों को आम जन से कोई लेना देना नही, बस रोकी हील हुज्जत रोज का ड्रामा बस एक पत्ती और बस को हरी झंडी, अगर ज्यादा चूं चपड़ तो फ़िर रुके रहो भाई क्योँ की ये दिल्ली पोलिस है, आपकी सेवा में हमेशा आपके लिए तत्पर, बस पत्ती होनी चाहिए।
16.8.08
दिल्ली पुलिस और ब्लू लाइन
जरा इस तस्वीर को देखिये हम भी इसी बस में थे, बस के ड्राइवर और कंडेक्टर ने पत्ती देने से मना कर दिया कारण साफ़ था की दोनों पुरे युनिफोर्म में थे और सभी कागजात भी पुरे थे सो जिच दोनों तरफ़ और बीच में पीसने वाली गरीब दिल्ली की जनता, क्या करें दिल्ली की एलिट क्लास की मुख्यमंत्री और राज्यपाल महोदय को हमारा पिसना जो नही दिखता है, हाँ यहाँ के लोगों की खामियां मीडिया के सामने बताने में परहेज नहीआख़िर इसी बहने अपने खामियों को जो छुपाना है.
Labels: दिल्ली पोलिस, धंधेबाजी, ब्लू लाइन, रजनीश
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