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10.8.08

और यूँ खत्म हो गई कहानी

तुम बहुत याद आओगे करूणाकर. हम तुम्हे यूं भुला ना पाएंगे


भैया मुझे बहुत दर्द हो रहा है। आप मेरे दुनिया के सबसे अच्छे भैया हो। डॉक्टर साहब को लेकर तुंरत मेरे पास आ जावो। अब मुझसे दर्द बर्दास्त नही हो रहा है। मैंने पापा से बोल दिया है वो मुझे लखनऊ मार्शल बुक करवा कर ले आयेंगे। मुझे डॉक्टर साहब से दवा नही बस उनका मोरल सपोर्ट चाहिए। वो मेरे साथ दो दिन रहेंगे फिर चले जायेंगे मैं उनको रुकने के लिए नही कहूंगा। करूणाकर के ये शब्द मेरे कानों में अब भी गूँज रहे हैं। क्यूँकी इसके आधे घंटे के बाद ही उसकी बहन का फ़ोन आया और उसने बताया भैया करूणाकर भैया नही रहे॥ अब उन्हें किसी डॉक्टर की ज़रूरत नही है। मेरे ऊपर ये शब्द सुनकर जैसे पहाड़ टूट पडा हो। क्यूंकि जिसके लिए हम दिन रात जुटकर बचने का प्रयास कर रहे थे वो हमें छोड़ कर चला गया। अंत तक करुणाकर एक नए जज्बे के साथ जिया. जब उसका रिजल्ट आया. तो उसने उसकी खुशी मनाते हुए कहा था. इस बार तो अब मेरी तवियत ठीक नही है पर अगले साल मैं और अच्छा नम्बर लेकर आवूंगा. करूणाकर ने रविवार को करीबन ९ बजकर ४५ मिनट पर मुझसे से अन्तिम बात की तथा १२ बजे इस संसार को अलविदा कह दिया. करुणाकर के रूप में आज हमने एक ऐसा सदस्य खो दिया है जो की सबका प्यारा बन चुका था. उसकी सारी बातें मुझे याद आती हैं. काश कुछ मेरे पास ऐसा जादू होता की इस लड़के को हम बचा लेते. पर भगवन की लीला के आगे आजतक कौन जीता है. उसे भी तो अच्छे लोगों की ज़रूरत है और उसने हमारे सबसे अच्छे बच्चे करुणाकर को हमसे चीन लिया.

2 comments:

आशेन्द्र सिंह said...

apnibat teeam ki taraf se karunakar ko shradhanjali.

Anonymous said...

दोस्त,
ये कहानी ख़तम नही हुए है, जिसका आगाज करुनाकर ने किया उस पथ पर हमारा करुणा शहीद हो गया मगर एक मुकम्मल रास्ता बहुत सारे करुनाकर के लिए बना गया, करुनाकर की याद को तजा रखना तभी मुंकिन है जब इस पथ पर ढेरक करुणा हैं जिनके लिए हमें अपनी लड़ाई जारी रखनी है.
जय करुनाकर
जय भड़ास