कई दिनों से हमारे घर के एक कमरे में घुसते ही मैं डर जाता हूँ। ऐसे लगता है जैसे न्यूज़ चैनल्स के अन्दर बैठे विभिन्न प्रकार के पंडित,ज्ञानी,ध्यानी,ज्योतिषी बाहर निकल कर हमें बुरी नजर से बचाने के लिए नए नए अनुष्ठान शुरू करवा देंगे। एक दो आदर्शवादी चैनल को छोड़ कर, हर कोई इन बाबाओं के माध्यम से धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को डराने में लगा हुआ था। घर में जितने सदस्य उतनी राशियां। उनके अनुसार या तो किसी के लिए भी ग्रहण मंगलकारी नहीं और किसी की गणना के अनुसार सभी की पो बारह। अब जिसके लिए ग्रहण मंगलकारी नहीं उसका दिन तो हो गया ख़राब। वह तो उपाए के चक्कर में कई सौ रुपयों पर पानी फेर देगा। जिसके लिए ग्रहण चमत्कारी फायदा देने वाला है, वह कोई काम क्यूँ करने लगा। दोनों ही गए काम से। ना तो बाबाओं का कुछ कुछ बिगड़ा ना न्यूज़ चैनल के संचालकों का। हिन्दूस्तान में ग्रहण पहली बार लगा है क्या? सुना है हिन्दूस्तान तो पुरातन है। यहाँ तो सदियों से ग्रह -नक्षत्रों की खोज,उनके बारे में गहरी से गहरी बात जानने,समझने का काम चलता रहता है। घर के बड़े बुजुर्ग जानते हैं कि ग्रहण के समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं। उनको यह सीख न्यूज़ चैनल देख कर नहीं मिली। यह तो हमारे संस्कार हैं। पता नहीं ग्रहण के पीछे लग कर न्यूज़ चैनल वाले क्या संदेश देना चाहते हैं। इसमे कोई शक नहीं कि लोगों में उत्सुकता होती है हर बात को जानने की, उसको निकट से देखने की। किंतु इसका ये मतलब तो नहीं कि उसकी ज्ञान वृद्धि में सहायक होने वाली जिज्ञासा को डर में बदल दिया जाए,उसकी उत्सुकता को आशंका ग्रहण लगा दें। हम तो इतने ज्ञानी नहीं, मगर जो हैं वे तो जानते हैं कि मीडिया का काम लोगों का ज्ञान बढ़ाना,उनको सूचना देना,घटनाओं से अवगत करवाने के साथ साथ उनको जागरूक करना है। यहाँ तो आजकल कुछ और ही हो रहा है। ज्योतिषी,वास्तु एक्सपर्ट,बाबा अपनी दुकान इन न्यूज़ चैनल के माध्यम से चलाते है। जो इनके संपर्क में आते हैं उनका तो मालूम नहीं, हाँ ये जरुर फल फूल रहें हैं। ग्रहण ने सभी खबरों में ग्रहण लगा दिया। देश के कितने हिस्सों में लोग किस प्रकार जी रहें हैं?उनकी जिंदगी पर लगा महंगाई का ग्रहण ना तो उनको जीने दे रहा है ना मरने। कितने ही बड़े इलाके में पानी ना होने के कारण खेती संकट में पड़ी है। खेती नहीं हुई तो इन इलाकों की अर्थ व्यवस्था चौपट हो सकती है। उसके बाद वहां होगा अराजकता का राज। भूखे लोग क्या करेंगें? सरकार अपने अधिकारियों ,मंत्रियों,सांसदों,विधायकों का पेट और घर भरेगी या इनका? खैर फिलहाल तो आप और हम ग्रहण और उसका असर देखेंगें। आख़िर ऐसा ग्रहण हमको इस जिंदगी में दुबारा तो देखने को मिलने से रहा।
23.7.09
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3 comments:
Theek kaha bhai
आज बाबाओ ने भ्रम की स्थिती पैदा कर दी है,ज्योतिषी के बारे मे, जो हम लोगो के मानस मे बैठ जाती हैऔर उसी पर विश्वास कर लेते है । ग्रहण के बारे मे जो आज उत्सुक्ता मानव मे है वह केवल आकाश के हलचलो के बारे मे जानने को है ।
science ke yug me bhee babao ka jalva hai.
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