-अंकित माथुर-
एक मेल आई थी, रोचक लगी सोचा भड़ास पर डालूं।
पेश है!!
चाहे मानसून लेट आया है
चाहे मानसून लेट आया है
चाहे मानसून लेट आया है
पर एहसास नया ये लाया है,
कानून में सुधार आया है
देश में अब बदलाव आया है
लड़के को लड़की न खोजनी
ना लड़की को लड़का,
कोई भी मिल जाये चलेगा
बस भिडे प्रेम का टांका
शायद अब किसी घर में
मूंछों वाली भाभी आएँगी,
कन्यायें कन्या को भी अब
जीजू जीजू बुलाएंगी
उन्मुक्त गगन के नीचे केवल
अब जोड़े ना रास रचाएंगे,
बदला बदला होगा मंजर
लड़के जब लड़का पटायेंगे
पुलिस के पास भी अब शायद
छेड़छाड़ के केसेज बढ़ जायेंगे
महिला महिला को छेड़ेगी
पुरुष पुरुष से छेड़े जायेंगे
हर सिक्के के पहलू दो होते
कुछ सुधार तो आयेंगे,
ये नए बदलाव देश को
जनसँख्या विस्फोट से बचायेंगे
पर एहसास नया ये लाया है,
कानून में सुधार आया है
देश में अब बदलाव आया है
लड़के को लड़की न खोजनी
ना लड़की को लड़का,
कोई भी मिल जाये चलेगा
बस भिडे प्रेम का टांका
शायद अब किसी घर में
मूंछों वाली भाभी आएँगी,
कन्यायें कन्या को भी अब
जीजू जीजू बुलाएंगी
उन्मुक्त गगन के नीचे केवल
अब जोड़े ना रास रचाएंगे,
बदला बदला होगा मंजर
लड़के जब लड़का पटायेंगे
पुलिस के पास भी अब शायद
छेड़छाड़ के केसेज बढ़ जायेंगे
महिला महिला को छेड़ेगी
पुरुष पुरुष से छेड़े जायेंगे
हर सिक्के के पहलू दो होते
कुछ सुधार तो आयेंगे,
ये नए बदलाव देश को
जनसँख्या विस्फोट से बचायेंगे
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