फोनिया के पलटवार के बाद बुरे फंसे खंण्डूड़ी और चुफाल राजेन्द्र जोशी देहरादून। भाजपा के वरिष्ठ विधायक केदार सिंह फोनिया के ताजा बयान के बाद अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल विवादों में आ गये हैं। फोनिया ने यह कह कर कि खंण्डूड़ी का गढ़वाल दौरा बेहद निजी था साथ ही उनके द्वारा पार्टी और सरकार की किसी भी उपलब्धि का प्रचार न किये जाने के कारण विधायकों का उनके दौरे से गायब रहना वाजिब था। फोनिया ने खुलेतौर पर पार्टी अध्यक्ष चुफाल के खिलाफ गुट बाजी को सरंक्षण देने का बिगुल फूंक दिया है। ऐसे में बिशन सिंह चुफाल अब पार्टी फोरम पर ही घिरते नजर आ सकते हैं। हाल में ही पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खंण्डूड़ी के राज्य भ्रमण के दौरान चमोली व रूद्रप्रयाग जिले की पांचोंं विधानसभाओं के विधायकों का उनके कार्यक्रमों में शिरकत न करने के बाद खंण्डूड़ी नाराज हो गये थे। उन्होने राजधानी पहुंचकर बाकायदा प्रेसवार्ता कर अपनी इस नाराजगी को जाहिर किया था। पार्टी प्लेटफार्म के बजाय सार्वजनिक रूप से खंण्डूड़ी की इस नाराजगी से पार्टी की खासी किरकिरी हुयी है। मजेदार बात तो यह है कि खंण्डूड़ी जब प्रेसवार्ता में अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे थे पार्टी के मुखिया बिशन सिंह चुफाल भी उन्ही के बगल में बैठे हुए थे। उन्होने खंण्डूड़ी की बात को ही आगे बढ़ाते हुए दौरे के दौरान खंण्डूड़ी की बैठकों से अनुपस्थित विधायकों से जवाब तलब तक करने की घोषणा की थी। अब जब विधायक केदार सिंह फोनिया ने पार्टी अध्यक्ष की जवाबतलबी को खारिज करते हुए खंण्डूड़ी के दौरे पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं,ऐसे में खंण्डूडी के साथ ही पार्टी अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल स्वयं ही विवादों में आ फंसे हैं। केदार सिंह फोनिया ने खंण्डूड़ी के उत्तराखण्ड दौरे के संदर्भ में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह उनका निजी दौरा था इसलिए पार्टी के किसी भी विधायक का उस दौरे से कोई मतलब नहीं। उन्होने पार्टी के नियमों का हवाला देते हुए साफ कहा कि कोई भी विधायक केवल उन्ही कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए बाध्य है जो पार्टी अथवा सरकार की गतिविधियोंं से जुड़े हों। उन्होने खंण्डूड़ी पर आरोप लगाया कि प्रदेश भ्रमण के दौरान खंण्डूड़ी ने कहीं भी मुख्यमंत्री निशंक के मिशन 2020 और मिशन 2012 के विजन का उल्लेख नहीं किया। फोनिया ने खंण्डूड़ी को उत्तराखण्ड की जनता पर थोपा गया मुख्यमंत्री करार दिया उन्होने साफ कहा कि खंण्डूड़ी कभी भी विधायकों की पसंद नहीं थे। इतना ही नहीं फोनिया ने खंण्डूड़ी को भाजपा में लाकर राजनीतिक मंच दिलाने को भी अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल तक करार दिया। उन्होने बताया कि पौड़ी संसदीय सीट से खंण्डूड़ी को टिकट दिये जाने की वकालत भी उनकी गलती थी। अब फोनिया के इन तेवरों से शेष विधायकों को बल तो मिला ही है साथ ही पार्टी अध्यक्ष खुद भी अनुशासनहीनता के दायरे में आ खड़े हो गये हैं। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता स्वीकार करते हैं कि यह पार्टी का अन्दरूनी मामला था जिसे सार्वजनिक मंच पर जाहिर करना उचित नहीं था। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा निश्चित रूप से गलती ही हुई है। अब वे स्वयं ही पार्टी अनुशासन के घेरे में आ सकते हैं।
10.11.09
फोनिया के पलटवार के बाद बुरे फंसे खंण्डूड़ी और चुफाल
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