सखियाँ खेलन को आई
बन के सजना,
मैं ना खेलूंगी तुम संग
करो मोहे तंग ना।
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साजन के रंग में रंगकर
साजन की हो ली,
तू तो हो गई री जोगन
खेले ना होली।
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घर घर धमाल मचाए
सखियों की टोली,
साजन परदेश बसा है
कैसी ये होली।
21.2.10
हो गई जोगन
Posted by गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर
Labels: हो गई जोगन
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1 comment:
ho gayee jooga bahoot he badiya
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