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7.2.10

एक मुलाक़ात ज़रूरी है ?

मैं ऑफिस में बैठा था कि अचानक एक ख़बर फ्लैश हुई... ब्रेकिंग न्यूज़ पवार मिलेंगे बाल ठाकरे से... पहला ख़्याल आया कि महंगाई से परेशान पवार हो सकता है कि अब मंत्र लेने जा रहे हों ठाकरे से मंहगाई पर क़ाबू पाने के लिए... लेकिन वक्त गुज़रने के साथ साथ कुछ-कुछ साफ़ होने लगा... चार दीवारी के भीतर क्या कुछ हुआ ये तो चारों ही जानते सकते हैं लेकिन पवार, शशांक मनहर, बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे... लेकिन सवाल ये है कि पवार मातोश्री गए क्यों...? आईपीएल में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के खेलने को लेकर धमकी दी गई शिवसेना की तरफ से... ज़ाहिर सी बात है शिवसेना अभी ज़िंदा है यो तो सबको बताना होगा... लिहाज़ा उपस्तिथि दर्ज करानी ज़रूरी है... शाहरुख़ ख़ान और राहुल गांधी का मसला अभी ताज़ा ही है... दरअसल ये सब हो रहा है मुद्दा पहले कौन झपटता है को लेकर... चाचा-भतीजे की लड़ाई... पाकिस्तानी खिलाड़ी नहीं खेलेंगे... ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी नहीं खेलेंगे... और आगे आने वाले दिनो में ये भी हो सकता है कि शिवसेना कह दे कि भारतीय खिलाड़ी भी नहीं खेलेंगे... जो शिवसेना सचिन तेंदुलकर पर निशाना साध सकती है वो कुछ भी कर सकती है... दरअसल ये सब छटपटाहट है उस हार की जो एक के बाद एक ठाकरे को मिल रही है... अब तो ये सब सुनकर हंसी आती है और सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि जिस तरह से नक्सली चुनाव से पहले अपनी उपस्तिथि दर्ज कराते हैं... उसी तरह से ठाकरे चुनाव की हार के बाद अब हर रोज़ चुनाव की तरह ही उपस्तिथि दर्ज करा रहे हैं... ख़ैर सुर्खियों में बने रहेंगे तभी तो ज़िंदा होने का सबूत देते रहेंगे... लेकिन सवाल ये है कि पवार क्यों गए मातोश्री... क्या सरकार का एक नुमाइंदा जो कि केंद्रीय मंत्री है, सत्ता में जिसकी भागीदारी है, चाहे वो राज्य की सरकार हो या केंद्र की... वो साबित क्या करना चाहता है कि सरकार कमज़ोर है वो ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कर सकती... और उनकी मजबूरी है सरकार के साथ रहना...
या फिर... लगातार महंगाई की वजह से अपने सहयोगियों और कांग्रेस के निशाने पर रहे पवार ये जताना चाहते हैं कि उनके पास विकल्प खुले हैं... आख़िर इस मुलाक़ात का मक़सद क्या है...?

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