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10.3.11

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर - डॉ नूतन की पोस्ट

             अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर ....   शतक पूरा - सन् २०११

बच्चे के जन्म से ले कर उसकी परवरिश और उसे देश का एक उत्तम नागरिक बनाने में महिला के  योगदान से कोई इनकार नहीं कर सकता .. और महिला की यही खूबी उसको समाज में श्रेष्ठ स्थान देती है - एक महिला ही है जो समाज की स्तिथि की निर्धारक है, समाज की नींव है  और आज के दिन ही नहीं मैं सदा यही कहूँगी कि समाज में स्त्री और पुरुष एक दूसरे के कन्धों से कंधे मिला कर चलें, एक दूसरे का पूर्ण सम्मान करें और एक दूसरे की महत्ता को समझें - क्यूंकि पुरुष और स्त्री के बिना समाज की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती - दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे है, और दोनों एक दूसरे के पूरक हैं  | जहाँ पुरुष ताकत का पर्याय है वही स्त्री कोमलता का -- प्रेम, भावनाएं दोनों में होतीं है किन्तु अभिव्यक्ति के तरीके अलग अलग होते हैं, जिसको न समझने पर भ्रम और गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं ... तो मैं क्या कह रही थी - हाँ मैं कह रही थी कि प्रेम और भावनाएं दोनों में हैं - फिर ऐसा क्यों हुवा कि समाज में स्त्री का वो मान नहीं  जैसा रहना चाहिए था .....................

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