मतदाता, क्रिकेट की बाल
क्रिकेट के बाल को
कभी ये समझ ना आया
की उसकी ये दुर्दशा क्यूँ हैं
क्यूँ फेंका जाता हैं
क्यूँ झन्नाटे से फफेडा जाता
क्यूँ उछाला जाता हैं,क्यूँ फ़िर थामा जाता हैं
बड़े प्यार से,
चूमता हैं , प्यार से सहलाता हैंगेंद बाज
बलि के बकरे की तरह।
क्रिकेट के बाल के बिना रन कैसे बनेगे भाई ?
कभी ये समझ ना आया
की उसकी ये दुर्दशा क्यूँ हैं
क्यूँ फेंका जाता हैं
क्यूँ झन्नाटे से फफेडा जाता
क्यूँ उछाला जाता हैं,क्यूँ फ़िर थामा जाता हैं
बड़े प्यार से,
चूमता हैं , प्यार से सहलाता हैंगेंद बाज
बलि के बकरे की तरह।
क्रिकेट के बाल के बिना रन कैसे बनेगे भाई ?
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