1. समारू - फिर चली ममता की मनमानी।
पहारू - क्या करें, हर जगह कांग्रेस की मजबूरी है।
2. समारू - छग में घोड़े, विलुप्ति की कगार पर है।
पहारू - सफेदपोश घोड़े तो पैदा हो रहे हैं, न।
3. समारू - विकीलिक्स ने खुलासा किया है कि प्रणव मुखर्जी पीएम के दावेदार थे।
पहारू - अब भी मन में क्या कम लड्डू फूट रहे हैं।
4. समारू - छग में सबके पास वोटर कार्ड होगा।
पहारू - कुछ उसी तरह, जैसे गरीबी रेखा का राशन कार्ड हैं।
5. समारू - छग सरकार ने 7 नए कालेज खोलने का निर्णय लिया है।
पहारू - फिर भी तो उच्च शिक्षा की बदहाली कायम है।
राजकुमार साहू
जांजगीर, छत्तीसगढ़
24.3.11
टेढ़ी नजर -
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