* हिंदी के साहित्यकार वैसे ही हैं जैसी हिंदी है | हिंदी वैसी ही है जैसे हिंदी के साहित्यकार हैं |
* जो औरत नारायण दत्त तिवारी के ज़रिये पुत्र जनने का बयान दे रही है, और निस्संदेह जिसने
अपने पति से बेवफाई की, उसे क्या कहा जाये यदि छिनाल नहीं ?
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
Labels: "छीछालेदर रस" हास्य व्यंग्य
1 comment:
sikke ka doosraa pahloo
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