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11.4.11
ये है हमारे देश का धार्मिक चरित्र-दलित रिटायर हुआ तो रूम को गोमूत्र से धोया!
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
केरल तिरूअनंतपुर से एक खास खबर है, कि ‘‘दलित रिटायर हुआ तो रूम को गोमूत्र से धोया’’ जिसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिण्ट मीडिया ने दबा दिया और इसे प्रमुखता से प्रकाशित या प्रसारित करने लायक ही नहीं समझा| कारण कोई भी समझ सकता है| मीडिया बिकाऊ और ऐसी खबरों को ही महत्व देता है, जो उसके हितों के अनुकूल हों| दलितों के अपमान की खबर के प्रकाशन या प्रसारण से मीडिया को क्या मिलने वाला है? इसलिये मीडिया ने इसे दबा दिया या बहुत ही हल्के से प्रकाशित या प्रसारित करके अपने फर्ज की अदायगी करली, लेकिन यह मामला दबने वाला नहीं है| खबर क्या है पाठक स्वयं पढकर समझें|
खबर यह है कि देश के सामाजिक दृष्टि से पिछड़े माने जाने वाले राज्यों में किसी दलित अधिकारी का अपमान हो जाए तो यह लोगों को चौंकाता नहीं है, लेकिन सबसे शिक्षित और विकसित केरल राज्य में ऐसा होना हैरान करता है| यह सोचने को विवश करता है कि सर्वाधिक शिक्षित राज्य के लोगों को प्रदान की गयी शिक्षा कितनी सही है?
खबर है कि केरल राज्य के तिरूअनंतपुरम में एक दलित अधिकारी के सेवानिवृत्त होने के बाद उसकी जगह आए उच्च जातीय अधिकारी ने उसके कक्ष और फर्नीचर को शुद्ध करने के लिए गोमूत्र का छिड़काव करवाया| दलित वर्ग के ए. के. रामकृष्णन 31 मार्च को पंजीयन महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे| उन्होंने उक्त बातों का पता लगने पर मानव अधिकार आयोग को लिखी अपनी शिकायत में कहा है कि उनके पूर्ववर्ती कार्यालय के कुछ कर्मचारियों ने मेज, कुर्सी और यहां तक कि कार्यालय की कार के अंदर गोमूत्र छिड़का है| इस घटना की जांच की मांग करते हुए उन्होंने मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है|
रामकृष्णन ने कहा कि ‘‘कार्यालय और कार का शुद्धिकरण इसलिए किया गया, क्योंकि वह अनुसूचित जाति (दलित वर्ग) से हैं और यह उच्च जातीय व्यक्ति द्वारा जानबूझकर किया गया उनके मानव अधिकार एवं नागरिक स्वतंत्रता के अधिकारों का खुला उल्लंघन है|’’
दलित वर्ग के ए. के. रामकृष्णन की याचिका के आधार पर मानव अधिकार आयोग ने मामला दर्ज कर राज्य सरकार के कर-सचिव को नोटिस भेजा है| इसका जवाब सात मई तक देना है|
दलित वर्ग के ए. के. रामकृष्णन का कहना है कि ‘‘मैं इस मामले को सिर्फ व्यक्तिगत अपमान के तौर पर नहीं ले रहा हूँ| यह सामाजिक रूप से वंचित समूचे तबके का अपमान है| यदि एक सरकारी विभाग में शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है तो निचले पायदान पर रहने वाले आम लोगों की क्या हालत होगी?’’ उन्होंने बताया कि ‘‘पंजीयन महानिदेशक के पर पर पिछले पांच साल का उनका अनुभव बहुत खराब रहा है|’’
इस मामले में सबसे बड़ा और अहम सवाल तो यह है कि नये पदस्थ उच्च जातीय अधिकारी को गौ-मूत्र ये कार्यालय की सफाई करने के लिये कितना जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? क्योंकि उन्होंने तो वही किया तो उन्हें उसके धर्म-उपदेशकों ने सिखाया या उन्हें जो संस्कार प्रदान किये गये| ऐसे में केवल ऐसे अधिकारी के खिलाफ जॉंच करने, नोटिस देने या उसे दोषी पाये जाने पर दण्डित करने या सजा देने से भी बात बनने वाली नहीं है|
सबसे बड़ी जरूरत तो उस कुसंस्कृति, रुग्ण मानसिकता एवं मानव-मानव में भेद पैदा करने वाली धर्म-नीति को प्रतिबन्धित करने की है, जो गौ-मूत्र को दलित से अधिक पवित्र मानना सिखाती है और गौ-मूत्र के जरिये सम्पूर्ण दलित वर्ग को अपमानित करने में अपने आप को सर्वोच्च मानती है| इस प्रकार की नीति को रोके बिना कोई भी राज्य कितना भी शिक्षित क्यों न हो, अशिक्षित, हिंसक और अमानवीय लोगों का आदिम राज्य ही कहलायेगा|
लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका" (PRESSPALIKA) के सम्पादक, विविध विषयों के लेखक, टिप्पणीकार, चिन्तक, शोधार्थी तथा समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार, मनमानी, मिलावट, गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन "भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास) (BAAS) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। जिसके हजारों आजीवन कार्यकर्ता (4747) राजस्थान के सभी जिलों एवं देश के आधे से अधिक राज्यों में सेवारत हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष : ऑल इण्डिया ट्राईबल रेलवे एम्पलाईज एसोसिएशन, पूर्व राष्ट्रीय महासचिव : अजा एवं अजजा संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, dr.purushottammeena@yahoo.in Ph. 0141-2222225 Mob. : 098285-02666
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4 comments:
Ji Yah Kuch Nahi Sirf Aur Sirf Manaw Sankirdta Matr Hai ......
behad bajib sawal uthaya he, lekin ye ku-kritye kisi ki vayktigat bhvanaye ho sakti he, ye sampurn samaaj ka darpan nhi he, samaya kafi badal chuka he!, lekin apvad har jagha milte hain, hame sharm aa rahi he agar kisi vyakti vishesh ne aisa kiya he, bhagwaan use sadbudhhi de, aur kya kahe!
आश्चर्य की बात यह है कि यह किसी पंचायत के कार्यालय का नहीं, बल्कि शहर के एक बडे कार्यालय का मामला है1
गोमूत्र का छिड़काव???
इस छिडकाव से तो सच में गन्दा कर लिया
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