Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

3.7.12

किशन के भक्त कहाँ मुंह छिपाएँ


इन किशन भगवान से तो राम ही बचाए



इस किशन भगवान ने तो हमें कहीं का नहीं छोड़ा . 
  

क्या करें , हिंदू में पैदा हुए हैं . हिंदुओं की बढोतरी चाहते हैं . 

अभी कल एक दूसरे रिलीजन वाले से बात हो रही थी , में अपने धर्म की विशेषताएं बखान कर रहा था . 

जब उसे कुछ और नहीं सुझा तो कहने लगा , कि बताना तुम्हारा भगवान कैसा है !

मैंने उसे बताया कि हमारे भगवान ने तो देखो गीता बताई जो हर रिलीजन वाला पढता है .
मुझे पता नहीं था इसने भी गीता पढ़ी हुई है . 
कहने लगा , तुम्हारी उसी गीता में नारी की प्रमुखता को मानते हुए भगवान श्री कृष्ण ने श्री भगवद गीता जी के दसवें अध्याय में जहाँ आपनी विभूतियों (विशेश्तायों ) के बारे में हर वस्तु में एक-एक गुण बताया है , वहीँ , नारी के अंदर सात गुण बताये हैं (श्लोक संख्या ३४ - कीर्ती  , श्री , बोलने की कला , याददाश्त , बुद्धि , धैर्य , छमा )

तुम्हारे  क्रिशन थे , womeniser , नारिओं से डरने वाले, उनको खुश करने वाले, उनको स्त्रिओं को  चाहने वाले का आरोप भी लगाते हैं. क्या करें , हमें तो भगवान भी मिला तो ऐसा , जो आरोपों में घिरा है .

मैंने कहा तुम्हारे मुहम्मद ने तो ६ साल कि लड़की से भी शादी कि और अपनी उम्र से ज्यादा वाली से  भी . छ छ शादी की ,  तो वह बोला . मेरा मुंह मत खुलवाओ , तुम्हारा भगवान नहाती हुई स्त्रियों को देखता है , उनके कपडे उठा ले जाता है . 

तुम्हारे भगवान ने तो एक नहीं ,  दो नहीं , छ नहीं , १६,१०८ शादी की , फिर भी राधा के साथ गुलछर्रे उड़ाते रहते थे , 

रास के बहाने पुरे ब्रिज की एक गोपी उन्होंने नहीं छोड़ी . 

कुब्जा जैसी कुबड़ी भी नहीं छोड़ी . 

बुआ कुंती ने पांच पतियों से पांच औलादें पैदा की . 

बहु द्रोपदी को तो एक साथ  पांच खसम करा दिए . 

और कुछ बताऊँ ! 

क्या करूँ , मेरा तो उठना भारी हो गया . में टोपिक बदल कर , जल्दी से उठ कर वहाँ से चला आया . 

 और क्या करें , इस भगवान ने तो हमें कहीं का नहीं छोड़ा . हम किसी को मुंह दिखने लायक नहीं रहे. 

अपना  लड़का बदमाश हो तो मार-पीट कर ठीक कर लेते हैं . धमका कर , या कह कर की घर से बहार निकल जा , या सबसे कह देते हैं , कि भाई ये हमारे काबू में नहीं , इसके जिम्मेवार हम नहीं . 

पर किसी का बाप ही ऐसा हो जाये , तो किसी को कैसे मुंह दिखाएँ . 

में हिंदू होकर अब क्या करूँ , क्या जबाब दूँ !

धरम छोड़ नहीं सकता , शाश्त्र बदल नहीं सकता . कोई बताये कि भगवान ने आखिर ऐसा क्यों किया . क्यों हमारी इज्जत की परवाह नहीं की . 

अच्छा है , इसी लिए लोग आर्य समाजी बनते हैं . सोचता हूँ में भी आर्य समाजी हो जाऊं . 

पर जो इसकी इतनी पूजा-पाठ किया है , उसका क्या होगा !

तो सोचता हूँ दुनिया दिखावे को तो आर्य समाजी हो जाऊं और अंदर से भगवान से छमा मांग लूँ .  (अब जो उन्होंने ठीक समझा सो किया , आखिर भगवान हैं )

कोई मेरी सहायता कर सकता है !
  

2 comments:

Anonymous said...

really boring article......

Ajit Kumar Mishra said...

महोदय ऐसा लगता है कि आप ने ऐसा इसी लिए लिखा है कि ताकि कमेंट रुप कुछ दिन के लिए एक बढिया मसाला मिल जाये आपके उठाये हर सवाल का उत्तर है परन्तु कुछ सवाल है।
1. यदि आप की आप बदसूरत है तो क्या आप किसी यह कहते कि मैं शर्मिंदा हूँ?
2. क्या आपने कभी इस बात की किसी से तुलना की क्या हमारे बाप ने यह किया और तुम्हारे बाप ने यह गलत किया।
3. क्या कभी आपने अपने माँ बाप की इस लिए पसंद नहीं किया कि दूसरे के माँबाप ज्यादा अमीर।
आपने लिखी कहानी में से तो यही अर्थ निकलता कि आप किसी दूसरे को नीचा दिखा कर ऊंचे होना चाहते है। दूसरे शब्दो में एक लाइन को बड़ा करने के लिए आप दूसरी लाइन को काटकर छोटा करना चाहते हैँ।
मित्र दूसरे कमी निकाल कर कुछ लोगों को आकर्षित तो क्या जा सकता है। पर खुद को ऊचा नहीं उठाया जा सकता है। रही बात आर्य समाजी बनने की तो बनने के बाद यदि उसमे कोई कमी मिली तो फिर कुछ और अपनाइयेंगे क्या और यह सिलसिला कब तक चलेगा।