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26.2.13


इस बार भी कफ्र्यू में नहीं आये हरवंश सिंह
सिवनी। इसी महीने नगर ने सांप्रदायिक सदभाव बिगड़ जाने के कारण नागरिकों ने एक सप्ताह तक कफ्र्यू का दंश भोगा लेकिन विस उपाध्यक्ष एवं जिले के इकलौते इंका विधायक हरवंश सिंह ने इस दौरान नगर में आकर लोगों के हाल जानने की कोई जरूरत नहीं समझी।
छपारा में एक हरिजन युवक के साथ की गयी घृणित एवं अमानवीय घटना के बाद पुलिस ने अपराधियों को तत्काल ही हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था। लेकिन इसके बाद भी भाजपा के हम सफर माने जाने वाले विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल ने सिवनी बंद का आव्हान किया और हालात बेकाबू हो जानें के कारण शहर में कफ्र्यू लगा दिया गया था।
इस कफ्र्यू के दौरान अमन चैन और आपसी भाई चारा बनाये रखने की अपील करने के लिये जिला इंका अध्यक्ष हीरा आसवानी के निवास स्थान पर एक बैठक रखी गयी थी। इस बैठक के दौरान ही शहर में कफ्र्यू लगाने के आदेश जारी कर दिये गये जिसकी जानकारी के आभाव में बैठक समाप्त होने के बाद लोग अपने अपने घरों के लिये रवाना हो गये। इसी बीच रास्ते में बस स्टेन्ड पर जिला इंका प्रवक्ता जे.पी.एस.तिवारी पुलिस की लाठियों के शिकार होकर लहू लुहान हो  गये। लेकिन इसकी निंदा तक किसी इंका पदाधिकारी ने करना जरूरी नहीं समझा और ना ही दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग ही की गयी।    
उल्लेखनीय है कि  6 दिसम्बर 1992 में भी जब अयोध्या मसले को लेकर शहर में 19 दिन का कफ्र्यू लगाया गया था तब भी कफ्र्यू की पूरी अवधि में हरवंश सिंह सिवनी नहीं आये थे। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि हरवंश सिंह 1990 में सिवनी विधान सभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे और भाजपा के स्व. महेश शुक्ला से चुनाव हार गये थे। इसलिये उस समय तमाम लोगों को उनसे यह अपेक्षा थी कि वे भाजपा के राज में लोगों को मिले जख्मों पर मरहम लगाने  एवं उनका दुख दर्द बांटने उनके बीच में आये।
यह भी एक महज संयोग ही है या कुछ और कि 1992 और 2013 में जब दोनों बार कफ्र्यू लगा तो प्रदेश में भाजपा की सरकार है और दोनों ही बार, 92 में प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और अभी विधानसभा उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुये भी, हरवंश सिंह ने नगर में आना जरूरी नहीं समझा।
दर्पण झूठ ना बोले
26 फरवरी 2013 से साभार


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