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21.2.13

hindu utthaan ewam rashtra kee sabalataa

वैसे तो हिन्दुओं के बीच वैसे लोगों  की कमी नहीं है जो हिन्दू धर्म या सनातन धर्म के विरुद्ध ही कार्य करते हैं पर वैसे लोग भी पैदा होते ही रहते हैं जो अपनी सेवा से इसे सम्मानित भी करते हैं। विवेकानंदजी एक वैसे ही मनस्वी थे। परन्तु अब आवश्यकता इस बात की है कि  हिन्दू अपनी कमजोरियों को दूर करने में लगें अन्यथा ये पुन: गुलामी की स्थिति में पहुँच जा सकते हैं और जब ये गुलाम थे तो इनके साथ क्या होता था क्या तथाकथित सेकुलर लोगों को पता नहीं है? मुसलमानों एवं ईसाईयों को भी यह समझना चाहिए कि जो हिन्दू अपनों  का नहीं हुआ वह औरों का क्या होगा। एक कट्टर हिन्दू की तुलना में एक अवसरवादी वैसा हिन्दू कम विश्वसनीय है जो हिन्दू होते हुए हिन्दुओं के ही विरुद्ध षड़यंत्र अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए करता हैं। एक अच्छे मुसलमान को हिन्दुओं के बीच के वैसे लोगों से दूर रहना चाहिए क्योंकि जब वे हिन्दू होकर हिन्दुओं के लिए ही खतरनाक हैं तो वे मुसलमानों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक साबित होंगे। एक सच्चा मुसलमान इस बात को आसानी से समझ सकता है।
कोई भी राष्ट्र तबतक उत्थान नहीं कर सकता जबतक वह अपनी प्राचीन धरोहर का आदर करना नहीं सीखे और भारत की प्राचीन धरोहर में हिन्दू धर्म दर्शन का स्थान प्रथम एवं  अनमोल है। यहाँ के अधिकांश मुसलमान हिन्दुओं से ही धर्मान्तरित हैं। क्या इससे हिन्दुओं एवं धर्मान्तरित होकर मुसलमान बने हिन्दुओं के प्राचीन पूर्वज भी अलग -अलग हो गये? मैं तो यह मानता हूँ कि  उनमें जो समझदार हैं उन्हें अपने वतन के प्राचीन हिन्दू विरासत पर गर्व होना चाहिए।

जिस राष्ट्र की बहुसंख्यक आबादी कमजोर हो वह राष्ट्र कैसे सबल हो सकता है? राष्ट्र की सबलता के लिए हिन्दुओं का सबल होना आवश्यक है और इसमें सबका भला है। सबकी उन्नति एवं सबकी बेहतर सुरक्षा इस बात में है की हिन्दू सबल हों एवं हिन्दू एवं मुस्लिम इस बात को ध्यान में रखें कि उनके पूर्वज एक ही थे एवं उनमें भाईचारा होना चाहिए तथा उन दोनों को मिलकर हिन्दुओं के अन्दर के गद्दारों का तिरस्कार करना चाहिए। जय हिन्द!

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