मुझे लगता है कि एक सही राह का चुनाव करके केजरीवाल की पार्टी अब गलत राह
पर चल पड़ी है। ऐसा इसलिए लगता है कि जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ था तब
भीष्म चुपचाप बैठे थे और शर शय्या पर जब भीष्म थे तब द्रौपदी ने उनसे पूछा
था कि तात ! जब मेरा चीरहरण हुआ तो आप चुप क्यों हो गए थे ? भीष्म बोले -
मैंने कौरवों का नमक खाया था दुर्योधन का नमक खाया था इसलिए मैं कुछ नहीं
कर सका । मेरा आत्माभिमान मर गया था क्योंकि नमक आत्माभिमान को मार देता है
। कांग्रेस से समर्थन लेकर आप की कहीं यही हालत न हो जाए । एक सवाल है ।
क्या आप लोकसभा में यदि कुछ सीट्स जीतती है तो कांग्रेस की सरकार के लिए
मदद नहीं करेगी ? आखिर दिल्ली के इस एहसान को वह उतारेगी कैसे ? कांग्रेस
का समर्थन लेकर वह करजदार हो गयी है । शेष गाडी बंगला ले लें कोई बात नहीं
पर बातें वह करें जो सम्भव हों । अब बता दूं । जल्दी ही इन सबके पूरी
तनख्वाह लेने की खबर आएगी भत्ते भी । कोई बात नहीं । लेकिन ऐसे अनाउंसमेंट
करने की जरूरत ही क्या थी ? केजरीवाल जी ! ईश्वर आपकी नैतिकता की रक्षा
करे । मनोहर परिकर और माणिक लाल जैसे मुख्यमंत्री भी हैं देश में ,
जिन्होंने कभी अपनी सादगी का हल्ला नहीं मचाया । थोडा उनकी और भी देखें ।
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