मजबुत हिंदुत्व मजबुत राष्ट्र
विश्व बंधुत्व की राह पर चलने वाला हिंदुत्व , करुणा और मैत्री की परछाया वाला
हिंदुत्व,दूसरे धर्मांवलम्बियों को आदर देने वाला हिंदुत्व ,अनाचार के सामने गर्जना
करने वाला हिंदुत्व ,सर्व धर्म सद्भाव में आस्था रखने वाले हिंदुत्व को कमजोर
किसने किया ?
सिर्फ सत्ता के सिँहासन पर काबिज होने के लिए हम अपनी विरासत भूल
गये ,हम अपने महान पूर्वजों की जीवनशेली भूल गये। वोटों के लालच में हमने
खुद को गाली देना सीख लिया। पद पर बने रहने के लिये हमने खुद पर अनाचार
करना सीख लिया। सत्ता लोलुप बनकर हम दुष्टों को साथ देना सीख गये। जो
व्यक्ति खुद की जाती को विध्वंसक बताता है वह विश्व को अपनी कैसी घटिया
पहचान करा रहा है। अगर विश्व में आदर पाने की तंमन्ना है तो पहले खुद को
हीन ,घटिया ,नपुंसक मानना छोडो। सारे विश्व में हिंदुस्तानी ही ऎसे नेता है जो
अपने ही देश के हिंदुस्तानी नेता को अपने ही धर्म के नाम पर संकीर्ण बताते हो।
किससे वाहवाही लूटोगे खुद को कमजोर और विध्वंसक बता कर ? क्या अपनी
माँ को गाली देकर मासी के कसीदे पढ़ने से कोई व्यक्ति बड़ा बन जाता है ?
यह भारत तब तब ही कमजोर हुआ है जब-जब हमने हिंदुत्व को कमजोर
किया है। हिंदुत्व एक जीवन पद्धति है जो सर्वे भवन्तुः सुखिन … के मूल पर
टिकी है। सिर्फ मत प्राप्ति के लिए खुद को कोसने वाले नेता क्या दूसरे मतावलम्बियों
का विश्वास जीत पाये हैं ?दूसरों के सामने खुद को ओछा बताकर यदि सत्ता
हासिल कर भी ली तो क्या तुम्हे कभी इतिहास गौरव से देखेगा ?
हिंदुत्व कभी आक्रमण कारी नहीं रहा ,हिंदुत्व ने किसी राष्ट्र को नहीं लूटा ,हिंदुत्व
ने किसी को त्रास नहीं दिया और ना ही हिंदुत्व ने कभी त्रास सहन किया। क्या हम
उस हिंदुत्व के पक्षधर हैं जो दुनियाँ से मार खाता रहे,दूसरों से भयभीत रहे ,दूसरों
के रहमो करम पर पलता रहे ?
कोई भी राष्ट्र उसकी प्रजा से जाना जाता है ,विश्व का कोई भी देश अपने बहुसंख्यक
समुदाय के साथ अन्याय नहीं करता,उस पर झूठी तोहमत नहीं लगाता;लेकिन शर्म
आती है तब जब हम खुद अपनों पर चीख चीख कर झूठे आरोप लगाते हैं। इससे
क्या मिल जायेगा ?दुनियाँ कमजोर समझ कर लूट लेगी।
आज कौए छाप नेताओं से लोग दुःखी हो गये हैं। ये लोग अपनों को ही गाली
देकर अपनों से ही वोट लेकर देश चलाना चाहते हैं,मगर समय बदल रहा है ,युवा
पढ़ लिख कर इतना तो समझदार हो गया है कि कौओं की कांव-काँव और सिँह की
गर्जना को पहचानना सीख गया है।
भारत के चार राज्यों के चुनाव बहुत कुछ कह रहे हैं,युवा शक्ति थोड़ी सी चूक
भी भविष्य के चुनाव में करने वाली नहीं है। जो लोग शेर की खाल ओढ़ कर मुर्ख
बनाते हैं वो सियार हर बार पैंतरे आजमाने में सफल नहीं होंगे।
राष्ट्र मजबूत हिंदुत्व की राह पर चल पड़ा है। राष्ट्र विश्व बंधुत्व,समदृष्टि,
करुणा,मैत्री,निर्भयता,विकास ,सहयोग सर्व धर्म समान वाले वाले हिंदुत्व के पक्ष
में मोर्चा सम्भाल चूका है। तुष्टिकरण और पक्षपात बहुत पुरानी बातें हो चुकी है।
इस नए और मजबूत हिंदुत्व से ही भारत मजबूत राष्ट्र बनेगा,इसमें कोई संदेह
नहीं है।
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